मुलायम सिंह ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस समाजवादी पार्टी को उन्होंने आज से 25 साल पहले खड़ा किया था उसमें एक दिन ऐसा भी आएगा कि जब उनसे इस्तीफा मांगा जाएगा.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह ने 5 पेज की एक लंबी चिट्ठी लिखकर मुलायम सिंह यादव से अपील की है कि उन्हें पार्टी के हित में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी अखिलेश यादव को सौंप देनी चाहिए और खुद पार्टी का संरक्षक बन जाना चाहिए.
समाजवादी पार्टी में जिस प्रकार दिन ब दिन कलह बढ़ती जा रही है उसको देखते वहां इस वक्त कुछ भी संभव है. किससे कब त्यागपत्र मांग लिया जाए और किसको कब पार्टी से बाहर जाना पड़े कुछ कहा नहीं जा सकता है.
मुलायम सिंह यादव 1992 में पार्टी के गठन के समय से ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और समाजवादी पार्टी में किसे कुर्सी पर रहना है या नहीं रहना है यह हमेशा से मुलामय सिंह ही तय करते आए हैं.
लेकिन सपा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पार्टी में मुलायम सिंह यादव से कुर्सी खाली करने के लिए कहा जा रहा है. यानी अब सपा में शिवपाल को निशाना बनाकर सीधे सीधे मुलायम सिंह पर हमला होने लगा है.
गौरतलब है कि हाल ही में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को हटाकर शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल यादव जिस प्रकार चुन-चुन कर अखिलेश यादव के करीबी लोगों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगाकर कार्रवाई के नाम उनको पार्टी से बाहर निकाल रहे हैं उसने अखिलेश के पारे को चढ़ा दिया है.
वही, अपने करीबियों पर तलवार चलने से नाराज अखिलेश यादव ने भी ऐलान कर दिया कि वे समाजवादी पार्टी के 25 वीं वर्षगांठ समारोह में मौजूद नहीं रहेंगे और 3 नवंबर से चुनाव प्रचार के लिए अपनी रथ यात्रा शुरू करेंगे.
जबकि खुद मुलायम सिंह यादव पार्टी के सभी नेताओं से कह चुके हैं कि वो पार्टी की रजत जयंती समारोह को भव्य तरीके से मनाने का इंतजाम करें. बता दे कि रजत जयंती समारोह मनाने की जिम्मेदारी विवादों में घिरे मंत्री गायत्री प्रजापति को सौंपी गई है, जिन्हें अखिलेश यादव ने अपने मंत्रिमंडल से बाहर निकाल दिया था.