कभी भारतीय जनता पार्टी तो कभी कांग्रेस रह-रहकर सभी पार्टियों को अयोध्या वाले राम याद आ ही जाते हैं.
सभी कहते हैं कि मंदिर यहीं बनायेंगे लेकिन तारीख नहीं बतायेंगे. इस बार अचानक से ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को भगवान राम याद आये हैं.
मुलायम ने समाजवादी पार्टी नेता कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर सपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वर्ष 1990 में उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में अयोध्या में विवादित ढांचे को बचाने के लिए उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिए थे, इसका उन्हें अफसोस है. लेकिन धर्मस्थल को बचाना जरूरी था, इसलिए गोली चलाई गई.
आइये एक नजर डालते हैं उन 5 कारणों पर जिनके कारण मुलायम सिंह जी को भगवान राम याद आये हैं –
1. उत्तर प्रदेश चुनाव
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सूत्र बता रहे हैं कि समाजवादी पार्टी से जनता बहुत नाराज है. ऐसे में जनता का दिल जीतने के लिए मुलायम सिंह ने कारसेवकों का सहारा लिया है. ज्ञात हो कि जब विवादित ढांचे पर कारसेवक जा रहे थे तब उनपर पुलिस और आर्मी ने गोलियां चला दी थीं. उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ही थे. इस कार्यवाही के बाद इनको इस्तीफा देना पड़ा था. शायद मुलायम नहीं चाहते हैं कि आगामी चुनावों में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ही इस मुद्दे का फायदा उठाये.
2. हिन्दू वोट
सभी जानते हैं कि इस घटना के बाद से प्रदेश में बड़ी संख्या में हिन्दू लोग समाजवादी पार्टी से दूरी बनाये हुए हैं. मुलायम चाहते हैं कि अब वह लोग भी समाजवादी पार्टी को वोट दें. उस समय जो हुआ उसके लिए जनता इसको माफ़ करे.
3. मुस्लिमों का रक्षक
मुलायम सिंह के इस ब्यान के बाद ऐसा भी लग रहा है कि वह सिद्ध करना चाहते थे कि मैं नहीं होता तो तुम्हारी रक्षा कोई नहीं कर सकता था. मुस्लिमों के हिमायती बनकर वह धर्म के आधार पर लोगों को बरगला रहे हैं.
4. समाजवादी पार्टी पर मुद्दों की कमी
पिछले चार सालों में समाजवादी पार्टी ने कुछ भी ऐसा नहीं किया है कि जनता उस कार्य के गुण-गान कर रही हो. मुद्दों की कमी के चलते ही इनको भगवान राम याद आये हैं. जो आगामी चुनावों में मुद्दा बनकर निश्चित रूप से चुनावों में नजर आने वाले हैं.
5. राम लल्ला पर अधिकार
राम लल्ला पर अधिकार की लड़ाई देश में काफी पुरानी है. अभी तक भारतीय जनता पार्टी ही राम जी पर अपना अधिकार दिखाती आई है. सबको पता है कि भाजपा इसी मुद्दे के दम पर सत्ता में आई है. तो अब दूसरी पार्टियाँ भी इस अधिकार को छोड़ना नहीं चाहती हैं.
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