3 साल की बच्ची के साथ जिस समाज में बलात्कार होने लगे तो समझ लीजिये कि उस समाज का नैतिक स्तर कितना गिर गया है और कानून जैसी चीज का डर समाज से खत्म हो गया है.
आप बाहर निकलें तो एक नजर आज के पुरुषों की नजर पर जरूर डालें.
आज हम आपको सबसे पहले बताते हैं कि पुरुषों की नजर सड़क पर लड़कियों में क्या देख रही है –
पुरुषों की नजर –
1 – पुरुषों की नजर को जब आप देखेंगे तो आपको मालूम पड़ेगा कि आज का पुरुष लड़कियों और महिलाओं के वक्ष देख रहा है. मेट्रो शहरों की तो हालत ही खराब है. हर जगह लड़कियों के बूब्स को ताड़ते मर्द ऐसे दिख रहे हैं कि जैसे उसके घर में महिलाओं और लड़कियों के पास यह चीज नहीं है.
2 – साथ ही अगर लड़कियों के कपड़ों से ब्रा की कोई झलक बाहर आ रही होती है और उसको देखने के लिए तो भारतीय मर्द किसी भी हद तक गुजरने को तैयार हो जाता है. असल में यह चीज भारतीय मर्द के जंगली कुत्तेपन और गिरी हुई सोच को दर्शा रहा है.
3 – लडकियां बस में सफ़र कर रही हैं या ट्रेन-मेट्रो में, अगर वह किसी मर्द के बगल में खड़ी हैं तो उनकी मुश्किल यही होती हैं कि खुद को भीड़ से बचायें या बगल वाले मर्द के टच से. आप यकीन मानिये कि यही मर्द जो अपनी मर्दानगी के लिए दम भरता है, यह भीड़ का सहारा लेकर पीछे वाले उभार को कभी टच कर देता है.
आप आंकड़ों पर नजर डालिए-
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्टबताती है कि 2014 में प्रतिदिन 100 महिलाओं का बलात्कार हुआ और 364 महिलाएं यौनशोषण का शिकार हुई. वहीँ 2016 में जमीनी आंकड़ा 150 के लगभग पंहुचा है. इस समय देश में तकरीबन 95000 से अधिक बलात्कार के मुकदमें अदालतों में लंबित हैं. भारत में हर एक घंटे में 22 बलात्कार के मामले दर्ज हो रहे हैं.
2015 में महिलाओं के विरुद्ध कुल 25,731 अपराध दर्ज हुए हैं. इसमें बलात्कार के 5,071 मामले भी शामिल हैं. 272 मामले गैंगरेप के हैं. 2016 के शुरुआती 6 महीनों के जो रिकॉर्ड सामने आए हैं, उनके अनुसार, इस साल बलात्कार और रेप के मामले कुछ 10 फीसदी तक बढ़े हैं. बीते साल 2015 में जनवरी से जून तक कुल 24,233 महिला-विरोधी अपराध हुए जबकि इस साल जून तक 25,860 अपराध दर्ज किये जा चुके हैं.
तो तुम्हारी बहन नहीं पहनती है ब्रा-पेंटी
असल में सारा दोष समाज का ही है. आज भारतीय समाज से नैतिकता खत्म हो गयी है. स्कूल में बच्चों को नैतिक ज्ञान नहीं दिया जाता है और घर पर माँ के साथ बच्चे सीरियल कल्चर में पैदा हो रहे हैं. माता-पिता नहीं देख रहे हैं कि उनका लड़का नैतिकता के स्तर पर कितना सही है. क्या वह मंदिर जाता है या फिर पब जा रहा है. सड़क पर आज का मर्द समाज लड़कियों की ब्रा-पेंटी देख रहा है. लेकिन उसकी बहन क्या पहन रही है, वह यह बात नहीं देख रहा है. यदि सड़क वाले मर्द को देखने की बीमारी है तो वह अपने घर पर अपनी बहन को क्यों नहीं देख रहा है? साथ ही वह भूल रहा है कि उसकी बहन भी सड़क पर निकलती है और उसको भी लोग इसी नजर से देख रहे हैं. असल में सड़क पर भारत का 90 प्रतिशत मर्द लड़कियों के साथ कुकर्म कर रहा है. मर्द इस तरह से लड़कियों को देख रहे हैं जैसे कि नजरों से ही बलात्कार कर देंगे. सड़कों पर मर्द का कुकर्म लगातार बढ़ता जा रहा है.
एक बेटा कैसे बलात्कारी बन जाता है, इस बात का जवाब किसी माँ-बाप पर नहीं है. जबकि बोलते हैं कि बेटा घर से चीजें सीखता है. कहीं ना कहीं गलती हमारे घर की ही है कि वह बेटे पर ध्यान नहीं देता है. बेटी पर इतना ध्यान दिया जाता है कि वह घर में दम तोड़ देती है लेकिन बेटा क्या कर रहा है, यह कोई नहीं देखता है.
आज भारतीय समाज इतना गिर गया है कि वह 2 साल, 3 साल की बच्ची का भी बलात्कार कर रहा है, यह समाज किस तरफ बढ़ रहा है आप खुद ही सोचें और कमेन्ट कर हमको जरुर बतायें.
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