कुंभकर्ण के बारे में तो आप जानते ही होंगे।
जी हाँ वही रावण का भाई और विश्रवा का पुत्र कुंभकर्ण।
कुंभकर्ण की एक आदत थी जिसमें वह छः महीनों तक लगातार सोता रहता था। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंभकर्ण इतनी लंबी नींद क्यों सोता था।
आज हम आपको कुंभकर्ण की लंबी नींद के पीछे का राज बताने जा रहे है।
कुंभकर्ण की लंबी नींद के पीछे की वजह –
दरअसल कुंभकर्ण की लंबी नींद के पीछे भी एक कहानी है।
शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि कुंभकर्ण और देवराज इंद्र में आपस में बनती नहीं थी। इंद्र कुंभकर्ण से इर्ष्या करता था, क्योंकि वह बहुत बहादूर और बुद्धिमान था। इंद्र कुंभकर्ण से बदला लेने का काफी लंबे समय से इंतजार कर रहा था, लेकिन उसे सही समय नही मिल पा रहा था।
एक बार जब तीनों भाई रावण, कुंभकर्ण और विभीषण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ किया।
इस यज्ञ से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और तीनों भाइयों से वरदान मांगने के लिए कहा. रावण और विभीषण ने अपने वरदान मांग लिए। अब बारी थी कुंभकर्ण की, कुंभकर्ण इंद्र को सबक सिखाना चाहता था इसलिए उसने सोचा क्यों ना ब्रह्मा जी से इंद्रासन ही मांग लूं। तब कुंभकर्ण ने कहा कि उसे इंद्रासन चाहिए लेकिन उसके मुँह से निद्रासन निकला।
कुंभकर्ण ने इंद्रासन की बजाय निद्रासन कह दिया तब उसे गलती का एहसास हुआ।
जब तक उसे कुछ समझ आता तब तक ब्रह्मा जी तथास्तु बोल चुके थे।
हालाँकि बाद में कुंभकर्ण ने कहा कि उसकी ये इच्छा पूरी ना करे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और दिया गया वरदान लागू हो चूका था और कुंभकर्ण छः महीने की नींद में भी जा चूका था। ये सब इंद्र की चाल की वजह से हुआ था क्योंकि इंद्र कुंभकर्ण से इर्ष्या करता था, जिसके चलते इंद्र ने देवी सरस्वती से जाके अनुरोध किया कि कुंभकर्ण इंद्रासन की बजाय निद्रासन कहे।
ये है कुंभकर्ण की लंबी नींद की वजह – कहा जाता है कि इस वरदान के बाद से कुंभकर्ण छः महीने की नींद सोने लगा।