ENG | HINDI

‘हिंदी’ क्यों बननी चाहिए एक अंतराष्ट्रीय भाषा?

Hindi

‘हिंदी’ क्यों बननी चाहिए एक अन्तराष्ट्रीय भाषा?

चलिए, आपके सामने कुछ तथ्य रखते हैं जिनसे यह बात सिद्ध हो जाएगी कि दुनिया में हिंदी बोलने वालों की संख्या कितनी ज़्यादा है.

1. पूरी दुनिया में हिंदी बोलने वालों की संख्या लगभग 500 करोड़ है.
2. दुनिया की 4.7% आबादी हिंदी बोलती है.
3. हिंदी 3री सबसे ज़्यादा बोली जानेवाली भाषा.

इन सभी तथ्यों के बावजूद, हिंदी आज भी संयुक्त राष्ट्र की  राजभाषा नहीं बन पाई है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, बान की-मून से मेरा सवाल है कि “क्यों अभी भी, हिंदी संयुक्त राष्ट्र की राजभाषाओं में से एक नहीं है”?

अगर हम ‘रूसी’ और ‘अरबी’ बोलनेवालों की संख्या जोड़कर देखें, तब भी ‘हिंदी’ बोलनेवालों की संख्या से कम ही है, और आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि रूसी और अरबी संयुक्त राष्ट्र की राजभाषाओं में से हैं.

सन 2007 से चले आ रहे इस संघर्ष से अभी तक कुछ ख़ास नहीं हो पाया है. लेकिन 2015 में संयुक्त राष्ट्र में, मोदी जी द्वारा हिंदी में दिए गए भाषण की वजह से मेरे ख्याल से संयुक्त राष्ट्र पर कुछ तो असर पड़ा ही होगा.

चाहे वह ‘अमरीका’ हो या ‘जापान’, दुनिया के हर कोने में भारतीय पाए जाते हैं और दुनिया का हर भारतीय हिंदी बोलता भी है और समझता भी है.

इन निम्नलिखित देशों के स्कूलों और कॉलेजों में ‘हिंदी’ सिखाई जाती है.
1. भारत
2. फिजी
3. यमन
4. न्यू-जीलैंड
5. युगांडा
6. सिंगापोर
7. मलेशिया
8. इंग्लैण्ड और अमरीका के कुछ स्कूलों और महाविद्यालयों में भी हिंदी सिखाई जाती है.

हिंदी की लोकप्रियता का श्रेय फिल्मों को भी जाता है. भारत में हर साल तकरीबन 1500 फिल्में बनती हैं और उनमे से 200 या 300 हिंदी फिल्में होती हैं. रूस, जापान, इंग्लैंड, मिस्र, नेपाल, बांग्लादेश और कई अफ्रीकी देशों में बॉलीवुड की फिल्में काफी चलती हैं. इस तरह हिंदी भाषा को और बढ़ावा मिलता है.

हिंदी भाषा को एक अंतराष्ट्रीय भाषा बनाने हेतु काफी कुछ करने की ज़रूरत है. सिर्फ हर साल ‘हिंदी दिवस’ मनाने से कुछ फायदा नहीं होगा.
कितनी शर्म की बात है कि आज-कल की युवा पीढ़ी हिंदी को उतना महत्व नहीं देती जितना अंग्रेज़ी को देती है. युवा पीढ़ी को हिंदी भाषा का महत्त्व समझाने की ज़रूरत है.

भारत को अगर एक महान ताकत बनकर उभरना है तो हिंदी भाषा को पूरी दुनिया के लोगों के लिए पहचानने योग्य बनाना ज़रूरी है.

क्योंकि अगर लोग हिंदी को जानने लगेंगे तो हिन्दुस्तान को भी पहचानने लगेंगे.