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इस वजह से हैकर्स बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी में मांगते हैं फिरौती !

बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी

बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी – रैनसमवेयर वायरस वानाक्राई दुनिया भर के लाखों कंप्यूटरों को प्रभावित कर चुका है.

बिना यूजर के मंजूरी के यह वायरस उनका सिस्टम लॉक कर देता है और खोलने के एवज में पैसे मांगता है. इस वायरस के पीछे जो हैकर हैं वे यूजर को यह मैसेज देते हैं कि वे पैसा बिटकॉयन में भेजें. सवाल यह है कि हैकर्स अमूमन फिरौती की रकम बिटकॉयन मे ही क्यों मांगते हैं. यह समझने के लिए हमे एक मुद्रा के रूप में बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी की खासियत जाननी होगी.

  • बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी है जिसे किसी भी देश का बैंक नहीं जारी करता.
  • बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी पूरी तरह से गुप्त है और सरकार के नियंत्रण से बाहर है. इसे विश्व में कहीं भी खरीदा और बेचा जा सकता है.
  • सरकार के नियंत्रण में न होने के कारण इस मुद्रा पर कोई टैक्स भी नहीं लगता.
  • दरअसल यह मुद्रा एक कोड की शक्ल में होती है जिसे न कोई सरकार जब्त कर सकती है न ही नष्ट कर सकती है.
  • बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी खरीदने के लिए एक वर्चुअल पता रजिस्टर कराना होता है जोकि 27-34 अक्षरों या अंकों के कोड की शक्ल में होता है. इसी वर्चुअल पते पर बिटकॉयन भेजे जाते हैं. इस तरह से बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी के मालिक का असली पता गुप्त रहता है.
  • बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी कितना लोकप्रिय है उसका अंदाजा आपको इस बात से लग सकता है कि इस साल मार्च में जहां एख आउंस सोने की कीमत 1233 डॉलर थी वहीं एक बिटकॉयन की कीमत 1268 डॉलर थी.
  • एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में इस वक्त तकरीबन डेढ़ करोड़ बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी प्रचलन में है.
  • किसी कंपनी के शेयर्स की तरह बिटकॉयन के दाम भी घटते-बढ़ते रहते हैं. हालांकि अधिक मांग के कारण अमूमन यह दाम बढ़ते ही हैं.

बिटकॉयन वर्चुअल करेंसी के इन खासियत को देखकर असानी स यह समझा जा सकता है कि हैकर्स इसी करेंसी में फिरौती क्यों मांगते हैं. बिटकॉयन में फिरौती लेकर हैकर्स अपनी पहचान गुप्त रख सकते हैं और सरकारों के नजर में आने से बचे रह सकते हैं.

इस पैसे पर उन्हें किसी भी तरह का टैक्स भी नहीं चुकाना पड़ता है.