आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। ये दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। अपने गुरु, माता-पिता एवं अपने से बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए ये दिन बहुत शुभ माना गया है।
इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व
इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 27 जुलाई, 2018 को मनाया जाएगा। इस बार गुरु पूर्णिमा शुक्रवार के दिन पड़ रही है। इस साल पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा ज्योतिषीय दृष्टि से खास महत्व रखती है क्योंकि इस बार पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है जोकि सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण भी होगा।
आषाढ़ में ही क्यों आती है गुरु पूर्णिमा
क्या आपने कभी सोचा है कि आषाढ़ के महीने में ही गुरु पूर्णिमा का पर्व क्यों मनाया जाता है। इसके लिए किसी और ऋतु को क्यों नहीं चुना गया।
आषाढ़ के महीने में गुरु पूर्णिमा मनाने का कारण बेहद रोचक है। इस पूर्णिमा को गर्मी होती है, बादल भी होते हैं, भीषण गर्मी, भीषण बरसात दोनों साथ-साथ पड़ती है। गर्मी ज्ञान और त्याग का प्रतीक है। गर्मी के मौसम में पसीने से भीगे गंदे कपड़े हम उतार देते हैं और स्नान करते हैं। उसी तरह आषाढ़ का महीना भी गंदे विचारों का त्याग करना है।
चंद्र ग्रहण भी है
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई, 2018 को पड़ रहा है। ये साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है और इससे पहले 31 जनवरी, 2018 को चंद्रमा को ग्रहण लगा था। ये साल का सबसे लंबा ग्रहण होगा। ये ग्रहण 1 घंटा 45 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल और भूरे रंग का हो जाएगा।
चूंकि ये चंद्र ग्रहण इस साल का सबसे लंबा ग्रहण है इसलिए इसके नकारात्मक प्रभाव काफी शक्तिशाली हैं। कहा जाता है कि चंद्रमा सुंदर तो है लेकिन साथ ही इसे श्राप भी लगा हुआ है। इस वजह से अविवाहित लोगों को इस ग्रहण को नहीं देखना चाहिए वरना इससे उनके विवाह में अड़चनें आ सकती हैं।
ज्योतिषशास्त्र में चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक बताया गया है। चंद्रमा के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं जिनकी वजह से मन में नकारात्मकता जन्म लेने लगती है।
जब राहु की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ती है तो इसे सबसे बड़ा चंद्र दोष कहा जाता है। जन्मकुंडली में चंद्रमा के पीडित होने या अशुभ स्थान में बैठने पर भी चंद्र दोष लगता है। इसकी वजह से बहुत ज्यादा चिंताएं और परेशानियां घेरे रहती हैं।
इस कारण जितना हो सके इस चंद्र ग्रहण से दूर रहें। विवाहित और गर्भवती महिलाओं को भी ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए।
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ के महीने में पड़ता है और इस महीने में गर्मी और बरसात दोनों का ही मौसम रहता है। आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा के अगले ही दिन 28 जुलाई से भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना शुरु हो रहा है। ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से 27 और 28 जुलाई का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इन दोनों ही दिनों पर श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना कर अपने ईष्ट देव का आशीर्वाद लेना है।