गरबा के इस नृत्य में सभी लोग माता के गर्भ के चारो-ओर घूमते हैं.
इस बात को प्रतीकात्मक रूप में यह कहा जाता हैं कि इस संसार की उत्पत्ति, हम सब की उत्पत्ति, इस गर्भ से ही हुई जिसे हम माता अम्बे कहते हैं और हम सभी का पूरा जीवन इन्ही के चारो ओर घुमता हैं. हम जन्म लेते हैं अपना जीवन जीते हैं फिर मृत्यु को प्राप्त करते हैं.
इस मोक्ष के बाद जीवन का यही चक्र फिर से शुरू होता हैं और यही जीवन चक्र कहलाता हैं.