गंगाजल पवित्र क्यों है? – भारत एक ऐसा अनोखा देश है, जहाँ हम पेड़-पौधों की पूजा करते हैं, नदियों-तालाबों की भी पूजा करते हैं।
अतः कह सकते हैं कि हम वसुधेव कुटुम्बकम के सिद्धांत को मानते हुए ईश्वर और उसके द्वारा बनाई हुई हर वस्तु की पूजा करते है।
लेकिन अगर थोड़ा लॉजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण में जाकर सोचे कि आखिर क्यों हम इन सब चीजों की पूजा करते हैं? तो जवाब होगा कि “क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों और हमारे पूर्वजों ने हमें यह सब सिखाया है”।
जब संसार में विज्ञान की कोई कल्पना भी नहीं थी। उस समय हमारे देश के प्राचीन ऋषि-मुनियों और बुद्धिजीवियों को आध्यात्म से लेकर विज्ञान तक हर चीज का ज्ञान था। इसलिए हमारे ऋषि मुनियों ने प्रकृति की कुछ नायाब चीजों को धर्म से जोड़ दिया ताकि लोग धर्म के बंधन में बंध कर प्राक्रतिक धरोहरों को नुकसान ना पहुंचाये और इसी प्राक्रतिक धरोहर में सबसे शीर्ष शामिल है गंगा।
गंगा भारत की मुख्य नदी है, इसका उद्गम गंगोत्री से होता है और यह बंगाल की खाड़ी मेंगिरती है। इस बीच यह भारत और बांग्लादेश से होते हुए कुल मिलाकर 2510 किलोमीटर का सफ़र तय करती है। यह आस्था के दो केंद्र हरिद्वार और बनारस जैसे पवित्र नगरों से गुजरते हुए श्रद्धालुओं के तन-मन को पावन करती है। गंगा नदी और इसके अनोखे जल की विशेषताओं का उल्लेख कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अलावा बड़े आदर से विदेशी साहित्यों में भी मिलता है। अनेक भारतीय कवियों ने भी अपने साहित्य में बड़े सुन्दर ढंग से गंगा का वर्णन किया है, जिसमें प्रथ्विराज रासो, कवीर वाणी, जायसी, सूरदास और दुसरे अन्य कवि शामिल है।
अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो गंगाजल पवित्र है. गंगा जल की खूबियों के चलते इसे अध्यात्मिक लोगों के साथ वैज्ञानिक लोग भी खूब महत्व देते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि गंगा जल में “वाक्टिरियोफेज़” नामक विषाणु पाया जाता है, जो पानी को गन्दा करने वाले दुसरे जीवाणुओं का भक्षण कर लेता है और इसलिए गंगा जल में कीड़े नहीं पड़ते।
इसके अलावा वैज्ञानिकों ने माना है कि गंगा जल में प्राणवायु ओक्सीजन को बनाये रखने की असाधारण क्षमता है लेकिन ऐसा क्यों है? इस तथ्य को अब तक सिद्ध करने में वैज्ञानिक असमर्थ रहे हैं।
एक राष्ट्रीय रेडियो कार्यक्रम के अनुसार गंगाजल में असाधारण मेडिकल पॉवर है। इसके उपयोग से हैजा, पेचिस जैसी कई बिमारियों को रोका जा सकता है और महामारी जैसी बिमारियों को जड़ से ख़त्म भी किया जा सकता है।
इन सब बातों से निष्कर्ष निकलता हैकि गंगा सिर्फ एक नदी ना होकर हमारे लिए जीवन रेखा है और इस रेखा की शुद्धता बरकरार रखने में सबसे बड़ा महत्व है, इसके यूनिक जल का, जो सिर्फ जल नहीं बल्कि एक जिज्ञासा का विषय है। अतः हमारा कर्त्तव्य है कि इसका संरक्षण करते हुए हमें इस जल की विशेषताओं को बरक़रार रखा जाए।
इस विशेषताओं से गंगाजल पवित्र है !
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