महात्मा गांधी जब भारत आये तो उन्होंने देखा कि यहाँ के लोग अब गुलामी में जीने के आदी हो गये हैं.
उनका ख़याल था कि भारतीय नामर्द हो गए है. इसके साथ ही साथ गांधीजी की चिंता यह थी कि कुछ लोगों को भ्रम है कि अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान में शांति एवं सुव्यवस्था कायम की है.
साथ ही साथ भारत में यह भी प्रचार किया जा रहा था कि अगर देश में अंग्रेज नहीं होते तो यहाँ ठग, पिंडारी और भील लोग, आम आदमी का जीना मुश्किल कर देते.
तो जब गांधी जी ने यह सब बातें सुनी तब इन्होनें अंग्रेजों के प्रति अपना नजरिया रखना शुरू किया था.
सबसे पहले रेल का विरोध
गांधी जी बोलते थे कि अगर अंग्रेजों ने रेल नहीं बनाई होती तो भारत में अंग्रजों का जितना काबू है उतना तब नहीं होता. दूसरा कि रेल के होने से महामारी फैली है. अगर रेल ना हो तो लोग एक जगह से दूसरी जगह कम जायेंगे और साथ ही साथ संक्रामक रोग कम हो जायेंगे. रेलों की मदद से अंग्रेज भारत को लूट रहे हैं.
जब गांधी ने बोला कि भारतीय नामर्द, नपुंसक और डरपोक बन गये हैं
अंग्रेज जब भारत में नहीं आये थे तो सन 1757 से पहले सबकुछ सही चल रहा था. ऐसा नहीं है कि तब भील और ठग लोग लोगों का जीना बेहाल किये हुए थे. ऐसा होता तो हमारा समाज कब का खत्म हो गया होता. लेकिन जब अंग्रेज भारत में आये तो उन्होंने हमारे खेत ले लिए, खेती अपने फायदे के लिए करवाने लगें. भारतीयों पर अत्याचार करने लगें. यहाँ तक कि भारत की स्त्रियों पर काफी अत्याचार किया गया.
गांधी जी बताते हैं कि अंग्रेज राज की “शांति’’ (कुछ लोगों को अंग्रेजी राज शान्ति नजर आता था) से भारतीय नामर्द, नपुंसक और डरपोक बन गये हैं. हिन्दुस्तानी कभी नामर्द नहीं था लेकिन अब भारतीय नामर्द बनगया है. जिस देश के लोग पहाड़ों पर रहते हैं और जहाँ वह बाघ-भेड़ियों से लड़ते हैं. उस देश के लोग अगर नामर्द, नपुंसक और डरपोक बन जाये तो वह देश सच में खत्म हो जायेगा. लेकिन असल में अंग्रेजी राज से हम नहीं लड़ पा रहे हैं तो उसके पीछे भारत के लोगों का डर ही है.
आज फिर से अपनी मर्दानगी को देखें भारतीय नामर्द
शायद आज फिर से भारतीय लोगों को अपनी मर्दानगी को देखना चाहिए. देश में गरीबी है, भुखमरी है. पाकिस्तान और चीन भारत को आँखें दिखा रहे हैं. राजनेता बड़े-बड़े घोटालों में व्यस्त हैं. हिल स्टेशन पर नेता अपना आलिशान घर बनाने में व्यस्त हैं. स्विस बैंकों में धन जा रहा है और देश की जनता बस आँखें खोलकर यह सब देख रही है. असल में गांधी जी कहते थे कि जो लोग सो रहे हैं उनको जगाना आसान है और जो लोग सोने का नाटक कर रहे हैं, उनको जगाना मुश्किल है.
तो अब आप समझ गये होंगे कि आखिर क्यों महात्मा गांधी ने भारत देश के लोगों को तब नामर्द, नपुंसक और डरपोक बताया था. असल में अंग्रेज भारत को कब का छोड़ चुके होते किन्तु बस भारतीय लोग डरे हुए थे और वह क्रान्ति से डर रहे थे.
(यह लेख लेखक अमित कुमार शर्मा जी की पुस्तक हिन्द स्वराज की प्रासंगिकता के तथ्यों के आधार पर लिखा गया है)