राजनीति

तो इस डर से बोलती बंद है आजम खान की

समाजवादी पार्टी में इस समय हर कोई आजम खान को तलाश रहा है।

आजम है कि न तो वो मंच पर नजर आ रहे है और न मीडिया में। खुलकर बोलने वाला यह यह शख्स अचानक से कैसे खामोश हो गया इसको लेकर सभी के मन में सवाल उठ रहे हैं।

अमर सिंह को लेकर सपा में चल रही घमासान में आजम खान क्यों इतने खामोश है?

आखिर अमर सिंह पर हमलावर रहने वाले आजम उस वक्त क्यों मौन है जब मुख्यमंत्री अखिलेश और रामगोपाल यादव ने अमर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और सपा में सारे अमर सिंह विरोधी एकजुट हो रहे हैं।

दरअसल, आजम बहुत दूर की कौड़ी चल रहे हैं।

आजम खान इस बार अपने छोटे बेटे अब्दुल्ला को चुनाव विधान सभा का चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रहे हैं। इस वक्त सपा परिवार में जो हालात है उसको देखकर कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है कि सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा।

आजम जान रहे हैं कि इस वक्त अमर सिंह को लेकर ज्यादा हमला बोलने का मतलब होगा चाचा भतीचे की लड़ाई में सीधे एंट्री कर जाना।

और अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा संकेत जाएगा कि वे अखिलेश और शिवपाल की बीच लड़ाई में मुख्यमंत्री अखिलेश के पाले में खड़े हैं।

यदि आजम अखिलेश के पाले में खड़ा नजर आते हैं तो वे सीधे शिवपाल से दुश्मनी मोल लेने के साथ मुलायम सिंह यादव की भी नजरों में चढ़ जाएंगे। लिहाजा जो माहौल है उसमें आजम बहुत ही सोच समझकर और फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। क्योंकि आजम के सपा में मुलायम सिंह के बाद यदि सबसे अधिक संबंध हैं तो वह है शिवपाल यादव से।

यह ओर बात है कि शिवपाल से अमर सिंह की दोस्ती को लेकर वे खफा हैं लेकिन वे मुख्यमंत्री अखिलेश पर उतना भरोसा नहीं करते हैं जितना कि शिवपाल पर।

आजम खान ये जान चुके है कि वे अब सियासत की अपनी आखिरी पारी खेल रहे हैं। यही समय है कि जब वे अपने बेटे को आगे बढ़ाकर उसका राजनीतिक भविष्य सुरक्षित कर दे। जिस प्रकार सफैई के यदुवंश के सभी युवराज राजनीति में सैटल हो गए हैं उसको देखते हुए आजम भी अब जल्द ही अपने शहजादे को रामपुर की सल्तनत पर आसीन कराना चाह रहे हैं।

लेकिन समस्या यह है कि वे अपने बेटे को सौंपे किसके हाथों में?

शिवपाल के या अखिलेश के।

क्योंकि यदि वे शहजादे को अखिलेश को सौंपते हैं और बाद कहीं मुलायम ने गेंद शिवपाल के पाले में डाल दी तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। वहीं दूसरी ओर यदि वे बेटे को शिवपाल की छत्रछाया में करते हैं तो ये सियासी घमासान में मैदान अखिलेश ने मार लिया तो वो खाली हाथ रह जांएगे।

यही कारण है कि जिन आजम खान की जुबान कैंची से भी तेज चलती थी खासकर अमर सिंह को लेकर, वो आजम आजकल अमर सिंह पर बहुत संभलकर बोल रहे हैं।

Vivek Tyagi

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