जैसे ही अर्जुन ने हाथ उठाया तभी श्री कृष्ण ने आकर रोक दिया. जब कृष्ण को अर्जुन के वचन की बात पता चली तो श्री कृष्ण ने अर्जुन कपो कहा कि युधिष्ठिर का वध करना न्यायसंगत नहीं है और उनके वचन को तोडना भी गलत होगा.
इस असमंजस से निकलने का उपाय भी कृष्ण ने बताया. कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि किसी प्रिय द्वारा किया गया अपमान और तिरस्कार भी मृत्यु के समान होता है. इसलिए यदि अर्जुन, युधिष्ठिर का अपमान करें तो वो भी उनके लिए मृत्यु समान होगा.