कर्ण ने युधिष्ठिर को नहीं मारा क्योंकि उन्होंने अपनी माता कुंती को वचन दिया था कि वो अर्जुन के सिवा किसी और पांडव के प्राण नहीं लेंगे. इसीलिए जब युधिष्ठिर को मारने का मौका आया तो कर्ण ने उन्हें प्राण दान दे दिया.
घायल युधिष्ठिर को नकुल और सहदेव पांडव खेमे में इलाज़ के लिए ले गए.
युद्ध क्षेत्र में अभी भी भीम और अर्जुन कौरवों की सेना से लड़ रहे थे. जब उन्हें युधिष्ठिर के घायल होने का समाचार मिला तो भीम को युद्ध मे छोड़कर अर्जुन अपने भाई को देखने चले गए.
फिर ऐसा क्या हुआ कि युधिष्ठिर अर्जुन पर क्रोधित हो गए?