इतिहास

नागासाकी : इस तरह एक हनीमून बना तबाही की वजह !

नागासाकी – 6 अगस्‍त, 1945 को जापान में आई तबाही के बारे में हर कोई जानता है। इस दिन अमेरिका ने अपना असली रंग दिखाते हुए जापान पर तबाही मचाने वाला बम ‘लिटल बॉय’ गिराया था।

इस बम ने पूरे जापान को तहस-नहस कर दिया था। हिरोशिमा का हादसे से तो आप वाकिफ ही होंगें।

कहते हैं कि ये हमला इतना तगड़ा था कि हिरोशिमा में सालों तक लोग बीमारी, कुपोषण और गरीबी में डूब रहे थे।

आइए आज इस खतरनाक और ऐतिहासिक हमले के बारे में कुछ जरूरी बातें जान लेते हैं -:

बम ले जाने वाले विमान का नाम

अमेरिका से जापान के हिरोशिमा में बम गिराने के लिए एक विमान की व्‍यवस्‍था की गई थी। परमाणु बम जिस बमवर्षक विमान में ले जाया गया उसका नाम एनोला गे था। इस विमान में सायनाइड की 12 गोलियां भी थीं।

पायलेट्स को ये हिदायत दी गई थी कि हमले के दौरान अगर कुछ भी गलत होता है तो सरेंडर करने की बजाय इन गोलियों को खाकर मौत को गले लगा लेना। अगर सब कुछ अमेरिका के प्‍लान के मुताबिक ना हुआ होता तो अमेरिका में तबाही का मंजर छा जाता। इससे बचने के लिए बम को जहाज में ही असेंबल किया गया था। जब जहाज़ दुश्‍मन के क्षेत्र में पहुंता तो उसे वहीं असेंबल किया गया था।

इस बमबारी में जो लोग पीडित हुए उन्‍हें हिबाकुशा कहा गया। अमेरिका की टारगेट कमेटी ने जापान के उन शहरों की‍ लिस्‍ट बनाई थी जिस पर हमला करना था। इस लिस्‍ट में कोकुरा, हिरोशिमा, पोकोहामा, निगाटा और क्‍योटो का नाम शामिल था। आपको बता दें कि इस लिस्‍ट में नागासाकी का नाम शामिल नहीं था। बाद में 25 जुलाई को क्‍योटो की जगह नागासाकी ने ले ली।

उस समय अमेरिका के युद्ध मंत्री हेनरी एल स्टिमसन थे। उन्‍होंने क्‍योटो में हनीमून बनाया था और उन्‍हें क्‍योटो बहुत पसंद था, वह इस शहर के बड़े प्रशंसक थे। बस उन्‍हीं की जिद थी कि क्‍योटो पर हमला ना किया जाए और उनके हनीमून की वजह से ही जापान के क्‍योटो की जगह नागासाकी को चुना गया। टारगेट लिस्‍ट में क्‍योटो का नाम हटाकर नागासाकी का नाम डाला गया।

हम सभी जानते हैं कि हिरोशिमा पर अमेरिका के इस हमले ने कितनी तबाही मचाई थी। ये हमला इतना जोरदार था कि आज भी हिरोशिमा की जमीं बंजर पड़ी है और लोग यहां पर रहने और बसने के बारे में सोचते तक नहीं हैं। इस बात को 73 साल हो चुके हैं लेकिन फिर भी जापान के हिरोशिमा में उस एटम बम के निशां दिखाई देते हैं।

आपको बता दें कि इस भयंकर हमले में 1,40,000 लोगों की मौत हुई थी। कुछ दिनों पहले ही इस घटना को 73 साल पूरे हुए हैं और इस मौके पर जापान में सुबह एक घंटी बजाकर उस दिन को याद किया गया जब विश्‍व का पहला परमाणु हमला हुआ था।

द्वितीय विश्‍वयुद्ध के अंत में अमेरिका ने जापान पर दो परमाणु हमले किए थे जिनमें से पहला हिरोशिमा पर था और दूसरा नागासाकी पर। इसमें जापान को बहुत नुकसान हुआ था और कई लोग मारे भी गए थे।

Parul Rohtagi

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