बादशाह अकबर और बीरबल के कई किस्से तो आपने सुने ही होंगे. बताया जाता है कि बादशाह अकबर ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, बावजूद इसके वो अपने आस-पास की हर बात की जानकारी रखते थे.
बादशाह अकबर ने हिंदू धर्म में बारे में इतनी जानकारी हांसिल कर ली थी, कि वो हिंदू धर्म को लेकर काफी प्रभावित हो गए और हिंदू धर्म के रंग में खुद को रंगना चाहता था.
आइए जानते हैं बादशाह अकबर के हिंदू धर्म के प्रति आकर्षित होने के पीछे की पूरी कहानी.
रामायण, महाभारत की कहानियों से हुए प्रेरित
एक मुसलमान शासक होने के बावजूद अकबर, बीरबल के मुंह से रामायण, महाभारत और गीता की कहानियां सुना करते थे. रामायण और महाभारत की कहानियों को सुनने में अकबर को बहुत आनंद आता था. इसलिए अकबर अपने दरबार में मौजूद सभी दरबारियों के साथ भी राम, कृष्ण, अर्जुन और भीष्म आदि का चरित्र चित्रण किया करते थे.
अकबर ने बीरबल के मुंह से रामायण, महाभारत, गीता के साथ-साथ हिंदू धर्म के सभी वेद-पुराणों का सुनकर ज्ञान भी लिया. इस ज्ञान को पाने के बाद अकबर शांत और बेहद गंभीर मुद्रा में रहने लगे.
अकबर के भीतर आए बदलाव से सब हुए परेशान
अकबर के भीतर आए इस बदलाव को देखकर सभी दरबारियों समेत उनकी बेगम भी परेशान रहने लगी. सभी ने अकबर में आए बदलाव का कारण जानने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई इस बात को नहीं जान पाया.
मजबूरन अकबर की बेगम साहिबा ने बीरबल से इसके बारे में जानने की कोशिश की, लेकिन बीरबल ने कहा कि वो खुद भी बादशाह में आए इस बदलाव को देखकर चिंतित हैं.
अचानक एक दिन बीरबल को अपने महल में बुलाकर अकबर उससे कहने लगे कि मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूं. लेकिन अकबर कुछ कहते इससे पहले ही बीरबल ने कहा कि सारे दरबारियों और आपकी बेगम साहिबा के साथ मैं भी आपकी इस खामोशी की वजह जानना चाहता हूं. जिसके बाद बादशाह अकबर ने कहा कि इसी पर चर्चा करने के लिए मैनें तुम्हें यहां बुलाया है.
अकबर ने कहा ‘मैं हिंदू बनना चाहता हूं‘
अकबर ने बहुत ही गंभीर होकर बीरबल से कहा कि जबसे मैनें तुम्हारें मुख से हिंदू धर्म के बारे में पूरी तरह से जाना है. तब से मेरा मन यही कह रहा है कि हिंदू धर्म ही दुनिया का सबसे अच्छा धर्म है. इसपर बीरबल ने भी कहा कि ये बात तो सोलह आने सच है.
अकबर ने कहा इसलिए मैं भी हिंदू बनना चाहता हूं और बीरबल तुम ही कोई ऐसा रास्ता निकालो जिससे मैं हिंदू बन जाऊं.
काफी सोच-विचार करने के बाद बीरबल ने अकबर से कहा कि आपको इसके लिए दो काम करने होंगे. सबसे पहले तो आपको फिर से पहले जैसा बनना पड़ेगा और दूसरी बात यह है कि हिंदू बनने के लिए आपको कुछ दिनों तक इंतज़ार करना होगा.
शर्त के मुताबिक अकबर फिर से पहले जैसे हो गए जिससे तमाम दरबारियों समेत उनकी बेगम भी खुश हो गई. लेकिन हर गुज़रते दिन के साथ हिंदू धर्म अपनाने के लिए अकबर की बैचेनी बढ़ने लगी.
बीरबल ने अपनाया एक नायाब तरीका
उधर बीरबल ने इसके लिए एक तरकीब ढूंढ निकाली और जब अकबर ने कहा कि और कितने दिन इंतज़ार करना होगा. तब बीरबल ने कहा कि आपका इंतज़ार खत्म हो गया, अब से आपको सिर्फ चार दिन के लिए सूर्योदय से पहले जागना होगा और अपने महल की छत से आपको सूर्योदय का नज़ारा देखना होगा. वहीं से आपके हिंदू बनने का रास्ता मिल सकता है.
बीरबल के कहने के मुताबिक अगले दिन अकबर सूर्योदय से पहले जाग गए और सूर्योदय के नज़ारे को देखने लगे. उसी समय यमुना नदी में एक धोबी अपने गधे को जबरदस्ती नहला रहा था जबकि गधा भागने की कोशिश कर रहा था.
दूसरे दिन यही हुआ धोबी और उसके गधे की आवाज़ ने अकबर का ध्यान भंग कर दिया. लेकिन तीसरे दिन फिर से इसी नज़ारे को देखकर अकबर को गुस्सा आ गया और वो गुस्से में धोबी के पास पहुंचे.
धोबी को डांटते हुए बादशाह अकबर ने कहा कि ये तुम क्या कर रहे हो, तो धोबी ने कहा कि पिछले दस दिन से मैं इस गधे को रगड़-रगड़ के नहला रहा हूं ताकि गधे के बजाय ये एक अच्छा घोड़ा बन सके.
धोबी की ये बात सुनकर बादशाह अकबर समझ गए कि ये सारी तरकीब बीरबल की है. मैं हिंदू न बस सकूं इसके लिए बीरबल ने ये तरकीब लगाई है.
गौरतलब है कि हिंदू धर्म की खासियत ही कुछ ऐसी है, जो इसके बारे में जानने की कोशिश करता है वो इसी धर्म का होकर रह जाता है. हिंदू धर्म के प्रभाव से बादशाह अकबर भी अछूता नहीं रहा तभी तो अकबर के जीवन में एक ऐसा भी वक्त आया जब वो मुस्लिम धर्म को छोड़कर हिंदू बनना चाहता था.