कहते हैं रामभक्त हनुमान जी के स्मरण मात्र से भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं.
अपने जीवन के विघ्नों से मुक्ति पाने के लिए हर कोई हनुमान जी की आराधना करता है.
हनुमान जी की स्तुति और उन्हें स्मरण करने के लिए कई साधु संतों ने हनुमान चालीसा, बजरंग बाण जैसे कई स्तोत्र की रचना भी की है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले हनुमान जी की आराधना किसने की थी.
जिस शख्स ने सबसे पहले हनुमान जी की आराधना की थी उसके बारे में जानने से पहले इस पौराणिक कथा को जानना बेहद जरूरी है.
रामायण की एक कथा के अनुसार
सीता के अपहरण के बाद जब हनुमान जी लंका पहुंचे तब उन्होंने अशोक वाटिका को छोड़कर अपनी पूंछ से पूरी लंका को जला दिया. अशोक वाटिका के अलावा उन्होंने विभीषण का भवन नहीं जलाया क्योंकि उस भवन के द्वार पर तुलसी का पौधा लगा था और भवन के ऊपर श्रीराम का नाम लिखा हुआ था.
राम की भक्ति में लीन विभीषण ने श्रीराम के शरण में जाने की इच्छा जाहिर की. लेकिन विभीषण की इस याचना पर सुग्रीव ने इसका विरोध जताया और कहा कि ये श्रीराम के शत्रु रावण का भाई है. इसलिए इसे शरण देने के बजाय दंड देना चाहिए.
लेकिन हनुमानजी ने सुग्रीव के इस प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि विभीषण रावण का भाई है महज इस बात के लिए विभीषण का विरोध करना उचित नहीं है.
फिर कुछ रुककर हनुमान ने कहा कि जो एक बार श्रद्धा से मेरे शरण की याचना करता है और कहता है कि मैं तेरा हूं उसे मैं अभयदान देता हूं. यह मेरा कर्तव्य है इसलिए विभीषण को शरण अवश्य दी जानी चाहिए.
विभीषण ने की थी सबसे पहले आराधना
कहा जाता है कि रावण के भाई विभीषण के भवन के ऊपर श्रीराम का नाम लिखा हुआ था और विभीषण ने ही राम की शरण में जाने के लिए सबसे पहले हनुमान जी की आराधना की थी.
मान्यताओं के अनुसार इंद्रादि देवताओं के बाद धरती पर सबसे पहले विभीषण ने ही हनुमान जी की स्तुति की थी. जिसके बाद विभीषण को भी हनुमान जी की तरह चिरंजीवी होने का वरदान मिला.
विभीषण ने हनुमानजी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की है. विभीषण द्वारा रचित इस स्तोत्र को ‘हनुमान वडवानल स्तोत्र’ कहते हैं.
स्तोत्र-
सब सुख लहे तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
गौरतलब है कि जो इंसान हनुमान जी की आराधना करता है, उसका कोई बाल भी बाका नहीं कर पाता है. क्योंकि हनुमान जी सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें भयमुक्त जीवन का वरदान देते हैं.