भारत से ज्यादा सहनशील देश आपको पूरे विश्व में कहीं खोजने से भी नहीं मिल सकता है.
यह बात हम यूँ ही हवा में नहीं बोल रहे हैं. आप खुद अनुमान लगाइये कि क्या शहीद सुभाष चन्द्र बोस जी को कोई गाली दे सकता है?
सबसे बड़ी बात यह कि वह भारतीय हैं और आज हम लोग उनको वोट देकर संसद में चुनते भी हैं. हम लोग इस बात को सहन कर गये और भूल गये, तो यह हमारी सहनशीलता का ही परिणाम है.
क्या कहा था सुभाष जी के लिए:-
वामपंथियों ने सुभाषचंद्र बोस के लिए ”तोजो का कुत्ता” जैसे शब्द इस्तेमाल किए थे. क्योंकि सुभाष जी ने आजाद हिन्द फौज के लिए जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री तोजो की सहायता ली थी. उस समय लाल सलाम वाले लोगों का यह बयान जनता को रास नहीं आ रहा था लेकिन मीडिया में आने के लिए इस अमर आत्मा को इन्होनें गाली दी थी.
साथ ही साथ इतिहास इस बात का गवाह है कि कम्युनिस्टों ने 1942 के ‘भारत-छोड़ो आंदोलन के समय अंग्रेजों का साथ देते हुए देशवासियों के साथ विश्वासघात किया था. तब वामपंथी और लाल सलाम वालों को गुलाम देश अच्छा लग रहा था. गांधी जी और सुभाष जी देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे वहीँ यह लोग अंग्रेजों का साथ दे रहे थे.
वरिष्ठ पत्रकार श्री रामशंकर अग्निहोत्री द्वारा लिखित पुस्तक- “कम्युनिस्ट विश्वासघात की कहानी” नाम की इस पुस्तक में आप इस किस्से को विस्तार से पढ़ सकते हैं.
क्या-क्या लिखा गया है इस पुस्तक में
“नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए जब जापान में आजाद हिन्द सेना की स्थापना की तो यही कम्युनिस्ट नेताजी को जापानी कठपुतली, “तोजो का कुत्ता” और देशद्रोही करार देते रहे. इसके बाद भारत विभाजन की रूप रेखा तैयार करने में कम्युनिस्टों ने मुस्लिम लीग का साथ दिया. नोआखली के भीषण दंगों में मुस्लिम लीग के “डायरेक्ट एक्शन” कार्यों में कम्युनिस्टों ने हाथ बंटाया. महात्मा गांधी की हत्या की अत्यन्त दु:खद घटना के समय कम्युनिस्टों ने सम्पूर्ण देश में विक्षोभ पैदा करने और भारत में गृहयुद्ध की स्थिति निर्माण करने की कोशिश की. इस घटना का लाभ उठाकर स्थान-स्थान पर निरपराध नागरिकों पर हमले एवं तोड़-फोड़ करने, संपत्ति नष्ट करने का योजनापूर्ण कार्य किया. भारत की प्रभुसत्ता को चुनौती देकर निजाम-हैदराबाद जब विद्रोह पर उतारू हुआ तो कम्युनिस्टों ने निजाम के रजाकारों की पीठ थपथपाथी.”
(पुस्तक से साभार)
तो आज भी आप इन्हीं लोगों को वोट देते हैं
इतना कुछ होने के बाद भी आप लोग इन लोगों को वोट दे रहे हैं. इतना कुछ बोलने के बाद भी अगर यह लोग इस देश में रह पा रहे हैं तो इसमें भारत देश का बड़प्पन ही नजर आता है.
आज ये लोग सबकुछ बोलने के बाद भी ‘बोलने की आजादी’ की मांग करते हैं. इनको कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा नजर आता है. देशभक्तों को यह लोग संघी और मोदी भक्त बोल रहे हैं.
लेकिन वामपंथी लोग कभी भी अपने असली चेहरे को आईने में नहीं देखते हैं. इन लोगों को समझना चाहिए कि जो देश इनको इतनी आजादी दे रहा है आप उसी का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
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