भारत में किसान आत्महत्याएं एक बहुत ही बड़े स्तर तक पहुँच चुकी हैं.
किसानों का देश कहे जानेवाले, भारत में, ऐसी आत्महत्याएं क्या इस देश की छवि के बारे में कुछ और ही नहीं दर्शा रही हैं?
22 अप्रैल के दिन, जब AAP के कार्यकर्ता जंतर मंतर मैदान में, भूमि अदिग्रहण बिल के खिलाफ एक रैली में ज़ोर-शोर से जुटे हुए थे, तब शायद किसीको पता नहीं था कि राजस्थान के ‘दौसा’ जिले में रहनेवाला एक मामूली सा किसान, गजेन्द्र सिंह, कुछ ऐसा कर जाएगा जो शायद सारी राजनैतिक पार्टियों को एक विडंबना में डाल दे.
जिन लोगों को पता नहीं कि 22 अप्रैल के दिन उस रैली में क्या हुआ, मैं अभी तुरंत इस चीज़ को आप के सामने स्पष्ट किए देता हूँ.
22 अप्रैल के दिन जब AAP पार्टी, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित, भूमि अदिग्रहण बिल के खिलाफ एक राजनैतिक रैली में मगन थी, तब गजेन्द्र सिंह, जैसा कि मैंने पहले कहा, एक मामूली से किसान ने एक नीम के पेड़ पर चढ़ कर, उसकी शाख और अपने गमछे के सहारे अपनी जान दे दी.
आखिर गजेन्द्र सिंह को किसने मारा?
गजेन्द्र सिंह का हत्यारा कौन है?
गजेन्द्र सिंह का हत्यारा मैं हूँ, हम सभी ने गजेन्द्र सिंह को मारा.
गजेन्द्र सिंह को इस देश के नागरिकों ने, और इस देश की मीडिया ने मारा. गजेन्द्र सिंह को इस देश की राजनीति ने मारा.
उसने अपनी जान किस लिए दी, यह अब तक कोई नहीं समझ पाया है. शायद, स्वयं गजेन्द्र सिंह भी ना जानता हो और अगर वह जानता भी था तो यह राज़ भी उसकी मौत साथ ही चल बसा.
अब शायद कांग्रेस और भाजपा जैसी दिग्गज पार्टियां, गजेन्द्र सिंह की आत्महत्या को कंधा बनाकर, उसपर सवालों से लोडेड बंधूक रखें और AAP की ओर निशाना लगाएं, या AAP इस आत्महत्या का, तहस-महस हो रही, अपनी राजनीति संवारने के लिए इस्तेमाल करे.
‘यह आत्मह्त्या एक राजनैतिक प्रोपोगैंडा है’, ऐसा कहने का मेरा बिलकुल मतलब नहीं है.
एक बात सिद्ध है! गजेन्द्र सिंह ने कुछ ऐसा कर दिया है जो शायद कोई भी किसान आज तक नहीं कर पाया है. ‘सरकार के उस सूखे क्षेत्र में बीज बोना, जहां पर शायद आगे चलकर एक ऐसी फसल उगे जो कई किसानों के आत्मविश्वास की भूंख को मिटा दे’.
मैं यह नहीं कहता कि जो कुछ गजेन्द्र सिंह ने AAP की रैली में किया, एक अच्छा कार्य था, लेकिन जो कुछ किसानों के साथ आज हो रहा है, वह भी अच्छा नहीं है.
मोदी सरकार, ऐसा बिलकुल नहीं है कि हम आप पर भरोसा नहीं करते. हमको आप पर पूरा भरोसा है और इसीलिए तो हमने इस बार आपको चुना है. मेरी मोदी सरकार से एक दरख्वास्त है कि कृपा करके, मेरे देश के किसानों के लिए लाभदायक योजनाएं बनाएं और देश के किसानों की लुट चुकी इज्ज़त वापस हासिल करने में उनकी मदद करें.
इस देश का नागरिक होने के नाते, अन्य राजनेताओं से मेरी एक विनती रहेगी कि वे इस आत्महत्या को एक राजनैतिक प्रोपोगैंडा का नाम देकर, गजेन्द्र सिंह की मौत का मज़ाक ना उडाएं.
खैर मुझे जो कहना था मैंने कह दिया.
अगर यह आप को सही लगता है तो किसानों के विकास में सरकार की मदद कीजिए.
कोई भी इंसान बिना किसी वजह से मरना नहीं चाहेगा.
कहीं ऐसा न हो कि गजेन्द्र सिंह की मौत केवल एक क्षण बनकर समय की धूल में कहीं छिप जाए.