फ्रिज खराब हो गया है|
माँ का भरोसा हमेशा से गोदरेज पर है तो बीवी का दिल सैमसंग पर आया हुआ है|
ड्राइंग रूम के परदे बदलने हैं, माँ को नीला रंग पसंद है तो बीवी मैजेंटा के पीछे पड़ी है|
नाश्ते में परांठे या ओट्स?
खाने में..
अच्छा अच्छा बस करता हूँ, पर उम्मीद है कि आप समझ गए ही होंगे कि एक पति के लिए यह समस्या जीने-मरने की समस्या से कम नहीं है!
यूँ तो हर आदमी मर्दानगी झाड़ता है कि वो घर का मालिक है, उसके कहे बिना घर में पत्ता भी नहीं हिलता| पर हम सब जानते हैं कि जब बात बीवी और माँ में से किसी एक की बात मानने की होती है तो ऐसा लगता है जैसे पांचवी कक्षा के छात्र को बिना तैयारी सीमा पर युद्ध करने भेज दिया गया हो! जाओ, बचा लो अपनी ज़िन्दगी!
खैर, बहुत से बुद्धिजीवी बिना इस सवाल का जवाब ढूंढे धरती से पलायन कर गए| और कुछ नए-नए शादीशुदा मर्द हज़ारों तरह की अटकलें और जोड़-तोड़ लगा इसका जवाब ढूंढना चाह रहे हैं! पर अभी तक कोई भी सफल नहीं हुआ!
देखिये बात साफ़ है, पत्नी की सुनेंगे तो माँ नाराज़ होगी, माँ की सुनेंगे तो बीवी रूठ जायेगी|
दोनों ही बातों में आपकी ज़िन्दगी इन दो महिलाओं को मनाने में निकल जायेगी!
तो करें क्या?
एक मत है कि निष्पक्ष रहिये और महिलाओं के मुद्दे उन्हें खुद ही निपटाने दीजिये|
दूसरा मत यह है कि तानाशाह बन जाइए, घर में प्रजातंत्र का गला घोंट दीजिये!
तीसरा उपाय यह हो सकता है कि कूटनीति का इस्तेमाल कीजिये, किसी को भी बिना दुःख पहुंचाए अपना काम निकलवा लीजिये!
ऐसे ही बहुत से और भी रास्ते हैं लेकिन ध्यान रहे कि इन में से किसी का भी सौ फ़ीसदी कामयाब होने का आसार नहीं है! अपने बड़े-बूढ़ों से मश्वरा कर लो या नए तिकड़म लगा लो, अंत में होना वही है जो आज तक हर पति के साथ होता आया है: हथियार डाल के हार मान लेना|
लेकिन अगर आप में कोई है जिन्होंने इस कठिन समस्या का तोड़ पा लिया है तो ज़रा अपनी जीत की रणनीति हम सबके साथ भी बाँटिये! याद रखिये, ऐसा करके आप सारी मानव जाती पर एहसान करेंगे!
जब तक कोई हल मिले, चुपचाप वही कीजिये जो आप की माँ और बीवी कहें|
दोनों में से किसी एक को चुन पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है!