आम जनता
जी हाँ आम जनता मतलब आप और हम जैसे लोग. माहौल बिगाड़ने के लिए जितने ऊपर बताये गए कारक जिम्मेदार है उतने ही हम भी.
वो लोग हमें एक खुराक देते है, हमारे सामने एक जाल फेंकते है और हम लोग अलग अलग कारणों से अंधे होकर उनके जाल में जाकर फंस जाते है. जैसे कभी धर्म के नाम पर जाल में फांसा जाता है, कभी डराकर तो कभी असहिष्णुता जैसे झूठे मुद्दे बनाकर.
ज़रा सोचिये जिस दिन आम जनता ने इन झूठ और फरेब के जाल में फंसने से इनकार कर दिया, ऐसे वैसे बयानों और लोगों को तवज्जो देनी बंद कर दी उस दिन घृणा का व्यापार अपने आप ही बंद हो जाएगा. आखिर आम जनता ही तो है इन घृणा के व्यापारियों की सबसे बड़ी ग्राहक.
देखा आपने कोई भी समस्या या कोई भी घटना किसी एक कारण से पैदा नहीं होती धीरे धीरे, स्तर दर स्तर बनायीं जाती है अगर इस जंजीर की एक भी कड़ी को तोड़ दिया जाए तो झूठ, फरेब, दर, आतंक और घृणा का जहर हमारे देश में फैलने से पहले ही खत्म हो जायेगा.
तो आइये प्रण करते है कि हम अपनी बुद्धि और विवेक से काम लेकर हर मुद्दे और घटना के बारे में सोच विचारकर अपनी प्रतिक्रिया देंगे.
आखिर ये देश हमारा है और इसके अमन चैन की जिम्मेदारी भी हमारी ही है ना, है कि नहीं ?