राजनेता
मीडिया और नेता दोनों ही एक दुसरे के बिना अधूरे है.
मीडिया एक मुद्दा तैयार करता है और नेता उसका फायदा उठाता है. आज के समय ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि देश गर्त में जा रहा है. लेकिन क्या ये सच है?
BSNL , एयर इंडिया और IRCTC जैसे सरकार उपक्रम जो सालों से घाटे में जा रहे थे पहली बार मुनाफा दे रहे है. लेकिन इन सब के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता. कारण इन सब से आम जनता का ही तो भला होगा नेता का तो नहीं. नेता ऐसी बात बोलता है जिससे वो सुर्ख़ियों में आये. जैसे कि कल भरी संसद में कांग्रेस सांसद खडगे ने कहा कि संविधान संशोधन करने पर खून की नदियाँ बह जायेगी.
असहिष्णुता को लेकर भी कांग्रेस और अन्य दल शोर मचा रहे है. लेकिन क्या इन दलों को सही में परवाह है देश की या फैलती तथाकथित असहिष्णुता की? नहीं बिलकुल नहीं. ये सब बस शोर मचाकर और छवि ख़राब करके अपना उल्लू सीधा करना चाहते है.
अगर इन्हें सही में परवाह होती तो कलबुर्गी की हत्या जितना ही बवाल ये प्रशांत की हत्या पर भी मचाते. आमिर के साथ जिस तरह खड़े हुए है उसी तरह केरला की महिला पत्रकार के साथ भी खड़े होते जिन्हें मुस्लिम कट्टरपंथियों ने धमकियाँ दी है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.