हम सबका व्यवहार बहुत अलग होता है और हम चाहे जितनी भी कोशिश कर लें किसी के स्वभाव या आदतों को बदल नहीं सकते हैं। आपकी भी जिंदगी में ऐसे कई लोग होंगें जिनके व्यवहार या किसी खास आदत से आपको दिक्कत हो लेकिन इसे लेकर आप कुछ नहीं कर सकते क्योंकि ये उनकी मर्जी है कि वो कैसे भी रहें।
हमारे स्वभाव में बोलने की आदत भी शामिल होती है। कुछ लोग बहुत बोलते हैं, इतना बोलते हैं कि थकते ही नहीं हैं जबकि कुछ लोग चुप रहना पसंद करते हैं। उन्हें चुप रहने से ही खुशी मिलती है।
कम बोलने वाले और ज्यादा बोलने वाले दोनों ही अपनी जगह पर अलग प्रकार की खुशी रखते हैं और इनकी खुशी पाने का तरीका भी अलग होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के ज़रिए यही बताने जा रहे हैं कि स्वभाव के इन दो रूपों में से कौन ज्यादा बेहतर होता है।
तो चलिए जानते हैं कि कम और ज्यादा बोलने वाले लोगों में से सबसे ज्यादा खुश कौन रहता है।
कैसे मिलती है खुशी
हमारा स्वभाव जैसा होगा वैसा ही करने में हमे खुशी मिलेगी। अगर हम कम बोलने वाले लोगों में से हैं तो कम कुछ शब्द बोलकर ही संतुष्ट हो जाएंगें लेकिन अगर कोई बातूनी किस्म का है तो वो दूसरों के साथ मिलकर अपनी खुशियां बांटने में लगा रहेगा। भले ही ज्यादा बोलने वाले हर वक्त आपको खुश दिखें लेकिन असलियत को यही है कि कम बोलने वाले ज्यादा खुश रहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्हें खुश रहने के लिए ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ती है।
कम बोलने वाले लोग जब खुश होते हैं तो बहुत ही ज्यादा खुश होते हैं लेकिन दुख भी ठन्हें ज्यादा रहता है। वहीं खुश रहने वाले लोगों को किसी सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है। ये ऐसा कुछ भी नहीं करते जिससे इन्हें दुख पहुंचे। ये अपनी खुशी के रास्ते खुद ही बनाते हुए चलते हैं। ये वो सब करते हैं जो इन्हें पसंद होता है और यही इनके खुश रहने का मूल-मंत्र भी है। ज्यादा बोलने वाले लोग अपनी खुशी को किसी के साथ बांट नहीं सकते हैं क्योंकि इन्हें ऐसा करना अच्छा नहीं लगता है। इनसे ज्यादा खुश कम बोलने वाले लोग होते हैं क्योंकि ये बहुत शांत होते हैं और इन्हें खुशी अपने ही अंदर मिल जाती है।
अगर आपके घर में भी ऐसे दो विभिन्न व्यक्तित्व के लोग हैं तो ज़रा उनके स्वभाव पर गोर फरमाइएगा। आप खुद देखिएगा कि उन दोनों में से कौन ज्यादा खुश रहता है।
देखिए, कम बोलने का मतलब है कि हम अपने जीवन से संतुष्ट हैं और हम किसी से बेकार की या फिजूल की बातें करना पसंद नहीं करते हैं। ये सिर्फ उन्हीं लोगों से बात किया करते हैं और उतनी ही बात किया करते हैं जितनी की पर्याप्त हो।
फिजूल की बातें करके अपना समय बर्बाद करना इनके जीवन का उद्देश्य नहीं होता है। ऐसे लोगों को समाज में मान-सम्मान भी मिलता है और उनकी छवि एक शांत और समझदार व्यक्ति की होती है।
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