मोबाइल का आविष्कार – आजकल की भागदौड़ से भरी जीवनशैली में ना अपने लिए वक्त है और ना ही अपनो के लिए, अपनों से मिलने की फुर्सत तो मानो मिल ही नहीं पाती है।
कभी ऑफिस, कॉलेज तो कभी थकान, अपनों के साथ वक्त बिताने उनके साथ बातचीत करने की चाहत तो दिल में होती है लेकिन व्यस्तता के कारण वक्त ही नहीं मिल पाता । ऐसे में अगर ये कहा जाए कि आजकल मोबाइल पर चलती उंगलियां ही रिश्ते निभा रही हैं तो गलत नहीं होगा।
जी हां, मोबाइल सिर्फ एक गैजेट ही नहीं. बल्कि एक ऐसा पिटारा है जिसमें हमारे काम की हर चीज़ है जो ना सिर्फ हमे हमारे अपनों से जोड़ता है, हमारे डेली टास्क्स को पूरा करने में हमारी मदद करता है बल्कि हमारे लिए किसी जिन से कम नहीं है।
एक ऐसा जिन, जो हमारे कहने पर वो सारे काम कर सकता है जिनकी हमे ज़रूरत है, डेट-टाइम देखना हो, किसी चीज़ का रिमांइडर सेट करना हो, कोई त्यौहार की डेट देखनी हो, सोशल मीडिया पर दुनिया की खबर जाननी हो, किसी को फोन या मैसेज करना हो या फिर कुछ और, इस मोबाइल ने मानो ज़िदंगी ही आसान कर दी है।
एक वक्त वो था जब किसी दूर शहर में बैठे दोस्त या रिश्तेदार को कॉल करने के लिए पब्लिक बूथ्स का मुंह ताकना पड़ता था और एक आज का वक्त है जब आप दूर देश में बैठे व्यक्ति से भी वीडियो चैट कर सकते हैं।
मोबाइल ने हमारी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो कौन शख्स है जिसने हमारी ज़िदंगी में मोबाइल का तोहफा दिया क्या आपको पता है कि मोबाइल का आविष्कार कब और कहां हुआ था और इसके आविष्कारक कौन थे?
अगर नहीं जानते तो कोई बात नहीं, आज हम आपको इन सारे सवालों का जवाब देने जा रहे हैं कि मोबाइल का आविष्कार किसने किया, जिसके बाद आप भी उस शख्स को थैंक्स कहेंगे जिसने आपकी ज़िदंगी में मोबाइल एड कर दिया।
तो आपको बता दूं कि दुनिया के पहले मोबाइल का आविष्कार मार्टिन कूपर नामक एक अमेरिकी इंजीनियर ने किया था। पहला मोबाइल दुनिया के सामने अप्रैल, 1973 को रखा था यानी की यही वो तारीख दी जब दुनिया के बिना तार वाले एक ऐसे छोटे से उपकरण को देखा था जिसके ज़रिए वो अपने परिजनों से बातचीत कर सकते हैं. तब से अब तक मोबाइल और ज्यादा एडवासंड होता चला गया और आज स्मार्ट फोन ने तो माने मोबाइल के भी मायने बदल दिए।
जी हां, अब भला आप ही सोचिए क्या मोबाइल के आने से पहले आपमे से किसी ने भी कल्पना की थी कि एक छोटा सा उपकरण हमारी ज़िंदगी को इतना आसान बना सकता है।
हो सकता है आपके या मेरे लिए ये समझ पाना मुश्किल हो कि मोबाइल के बिना ज़िदंगी कैसी थी लेकिन पुराने ज़माने के लोग ज़रूर इस बात से इत्तेफाक रखेंगे।
कुल मिलाकर इसका श्रेय जाता है मार्टिन को, जिसने मोबाइल का आविष्कार किया. उन्हे जितना धन्यवाद दिया जाए वो कम ही है। अब ज़रा सोचिए अगर आपके पास आज आपका प्यारा मोबाइल नहीं होता तो आपका क्या होता।
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