भगवान ! भगवान किसने देखा है ….
कितना अलग शब्द है. कानो पर पड़ते ही हर किसी हर किसी को अपना धरम; अपने भगवान की छवि अपने आँखों के सामने दिखाई देती है. मन में भी एक अलग सी भावना निर्माण होती है. पर असल ज़िन्दगी में वोह भगवान किसीने देखा है ?
यूँ तो हम उन्हें इस सृष्टि का विधाता कहते है. उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता. वोह है तो ये दुनिया है; ऐसा हम लोगों मानना है. पर वोह है इस बात में कितनी सच्चाई है? भगवान किसने देखा है !
हम मंदिर में गए; मस्जिद में गए; कभी गिरजाघर; तो कभी गुरूद्वारे में गए
सिर्फ और सिर्फ भगवान के प्रति श्रद्धा की चाह में,
ताकि लाख आये मुसीबते हम पर हम उनका सामना करेंगे डट कर
बस वह सदा साथ रहे हमारी इस जिंदगी की राह में ||
भगवान के रूप कहाँ देखे जा सकते है?
वैसे तो भगवान के रूप को कई जगह पर देखा जा सकता है; कई जगह महसूस किया जा सकता है. जैसे……
धरती- जो हमे रहने की जगह बनी है.
सूरज- जिससे हमे कई तरह की ऊर्जा की प्राप्ति होती है.
चाँद- जो रात के घने अँधेरे में भी हमे रास्ता दिखाने में कारगर है.
और ना जाने कितने सारे रूप है जिनकी हमारे हिंदुस्तान में पूजा होती है. वैसे देखा जाये तो दुनिया का हर वोह अंग जो हमारे किसी न किसी तरह काम आता है. वो भगवान है. मगर भगवान किसने देखा है !
इंसानी रूप के बारे में कहा जाये तो…..
मुसीबत में मदद करने के लिए दौड़ कर आनेवाला शख्स.
जिंदगी और मौत के बीच फसने पर हमे जिंदगी देनेवाला वह डॉक्टर.
जिंदगी के रास्ते पर हमे सही तरह के मार्गदर्शन देनेवाले हमारे गुरु.
महत्वपूर्ण बात तो भूल ही गए……….
सरहद पर खड़े रहकर हमारी रक्षा करनेवाला वह सैनिक भी भगवान का रूप ही है.
साफ़ भाषा में कहा जाये तो हर वोह चीज, हर वो शख्सियत भगवान के समान है जो किसी न किसी तरह से हमारे जिंदगी से जुड़े है. सच पूछे तो भगवान हर जगह है बस उन्हें देखने के लिए अच्छी नज़र और महसूस करने के लिए दिल मे श्रद्धा होनी चाहिए. क्योंकि सिर्फ मूर्तियों में भगवान की पूजा जिंदगी में पूरी तरह से मायने नहीं रखता.
वोह चले गए हमारी आँखों के सामने कुछ यूँ मुस्कुराते हुए
हमे कुछ अलग से संकेत मिल गए,
हमारे दिमाग में भगवान शब्द का मतलब ही अलग था,
वोह इंसान के रूप में हमसे मिलने आये;
हम उन्हें पहचानना भूल गए II
कुछ बातें तो हम इंसानो को सोचने परे मजबूर कर देती है
कहते है बच्चे भगवान का रूप होते है. इस बात को तो सही समझा जा सकता है लेकिन आजकल के भ्रुण हत्या ने हम इंसानो को सोचने पर मजबूर किया है. और तो और ये भी कहा जाता है की माँ बाप के चरणों में भगवान होते है. तो जब इंसान बड़ा हो जाता है तो उन्ही माँ बाप को घर से निकाल देते है. तो क्या हम इतने बड़े हो जाते है की वह भगवान भी हमे छोटे नजर आ जाते है.
भक्ति में लगा हूँ; साधना में लगा हूँ.
दूसरी किसी चीज का भान नहीं है,
आजकल के इंसानों की सोच; कर्म देख लगता है,
इंसानों में भी भगवान नहीं !
खैर कुछ बुरे लोगों की सोच; उनके कर्मो की वजह से हम पूरी दुनिया को बुरी दुनिया को बुरा नहीं कह सकते और न ही किसी के भगवन के प्रति आस्था के बारे में कुछ कह सकते है. बस किसी को तकलीफ हो ऐसा कोई काम न करे.
भगवान किसने देखा है – भगवान सबने देखा है, लेकिन उनको पता नहीं है !
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