मार्च के माह को भारत में शहीदी दिवस के रूप में जाना जाता है.
इस महीने की 23 तारीख को ही सन 1931 को इनको फांसी दे दी गयी थी.
लेकिन आज भी यह बोला जाता है कि कुछ लोग चाहते तो भगत सिंह को फांसी से बचाया जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
तो क्या यहाँ यह अंदाजा लगाना चाहिए कि कुछ लोगों को भगत सिंह की फांसी से लाभ प्राप्त हुआ था. अगर भगत सिंह होते तो इनको फायदा नहीं होता या देश इनको याद नहीं रखता. तो यह बात बिलकुल सच है.
आइये जानते हैं उन नामों को जिनको भगत सिंह की फांसी का पूरा-पूरा फायदा हुआ था-
1. महात्मा गाँधी
महात्मा गांधी जी पर यह आरोप हमेशा लगता रहता है और लगा रहेगा कि अगर वह चाहते या वह कोशिश करते तो शहीद भगत सिंह को फांसी होने से बचाया जा सकता था. लेकिन क्या अगर भगत सिंह जिन्दा होते तो गान्धी को वह स्थान मिल पाता जो आज उन्हें आज मिला हुआ है. तब शायद देश की आजादी का सारा श्रेय भगत सिंह को होता और देश का बच्चा-बच्चा अपना रोल मॉडल उन्हीं को बनाता.
2. जवाहरलाल नेहरु
यह तो निश्चित रूप से तय है कि अगर भगत सिंह जिन्दा रहते तो देश का हर नागरिक उन्हीं को देश का पहला प्रधानमंत्री चुनता. जिस तरह की काबिलियत भगत में थी वह जवाहर लाल नेहरू में बिल्कुल नहीं थी. तो भगत सिंह के ना होने का एक बड़ा फायदा नेहरु को मिला है.
3. मोहम्मद अली जिन्ना
जी हाँ यह नाम कभी भी भारत-पाकिस्तान इतिहास में भूला नहीं जा सकता है. भगत सिंह को फांसी इसीलिए दी जा रही थी कि सभी नेता डर गये थे कि अगर यह क्रांतिकारी रहेगा तो हमको कौन पूछेगा. पाकिस्तान का निर्माण भगत के जिन्दा रहते नहीं हो सकता था. पाकिस्तान का निर्माण नहीं होता तो जिन्ना को नापाक इरादों के लिए पाक नहीं मिलता.
4. ब्रिटिश नेता
सभी जान गये थे कि भगत सिंह नाम का एक युवक कंपनी और इंग्लैंड के लिए खतरा बन गया है. अगर इसको फांसी नहीं दी गयी तो जल्द ही यह अंग्रेजों से भारत को आजाद करा लेगा. बाकी सभी नेता तो अंग्रेजों की हां में हाँ मिला ही रहे थे. तो भगत सिंह की मृत्यु के बाद ही यह संभव हो सका है कि अंग्रेज इतने सालों तक यहाँ राज कर सके.
5. राहुल गाँधी
जी हाँ आप बहुत हैरान हो रहे होंगे कि यहाँ राहुल गाँधी का नाम क्यों आ गया है जबकि अभी तो इंदिरा, राजीव और सोनिया गाँधी सभी के नाम बाकी हैं. तो आपको बता दें कि अगर भगत सिंह को तब फांसी नहीं हुई होती तो गान्धी परिवार को कोई जान ही नहीं रहा होता. परिवारवाद का खात्मा कब का हो चुका होता और आज राहुल जी को फ्री में इतना ऊँचा पद नहीं मिल होता. एक के बाद एक जिस तरह से गांधी लोग राज गद्दी पर बैठते रहे हैं शायद वह तब ना हो पाता अगर भगत सिंह को देश सेवा का मौका आजादी के बाद भी मिलता.
तो अब आप ही बताए कि क्या यह कहना गलत है कि इन नेताओं को भगत जी की फांसी से बड़ा लाभ या फायदा प्राप्त नहीं हुआ है.
गलत लगे तो आप हमें अपना जवाब जरुर भेजें, आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा.
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