बीसवीं सदी के प्रारंभ में लड़ा गया प्रथम विश्व युद्ध…
कारणों को अगर खोजना शुरू करें तो ना जाने कितने कारणों वाली लिस्ट सामने आ जाती है.
युद्ध से पहले फ्रांस एक दम अकेला था. जर्मनी के साथ रूस भी था और आस्ट्रिया-हंगरी और इटली जैसे देश भी थे.
तो इस लिहाज से जर्मनी का खेमा बहुत ही ताकतवर था किन्तु तभी जर्मनी के साथ न इंग्लैंड रहा और ना ही रूस. इसको अनहोनी के लिहाज से भी देखा जा सकता है. लेकिन फ्रांस का खेमा अब मजबूत हो चुका था.
अगर आपसे अब भी पूछा जाए कि प्रथम विश्व युद्ध के क्या थे तब आप यही बोलेंगे कि संसार के कुछ देश अपने अहम को सिद्ध करना चाह रहे थे. वह खुद की ताकत के दम पर विश्व पर राज करना चाह रहे थे.
लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है. आज हम आपको बताने वाले हैं कि प्रथम विश्व युद्ध के असली मायने में क्या कारण थे-
राष्ट्रीयता
जी हाँ, प्रथम विश्व युद्ध से पहले तक कोई भी राष्ट्र और राष्ट्रीयता को जानता नहीं था. किन्तु सबसे पहले फ्रांस ने इस शब्द का प्रयोग किया. अपने को एक राष्ट्र बनाने की शुरुआत हुई और इस शुरुआत के अन्दर ही दूसरे देशों को भी अपने देशों में मिलाया गया तब जर्मनी को राष्ट्रीयता से खतरा लगा और वह युद्ध जैसी चीज पर आ गया.
मीडिया
उस समय के समाचार पत्रों को प्रथम विश्व युद्ध का सबसे बड़ा कारण माना जाता है. जिस तरह की ख़बरें उन्होंने चलाई थी और राष्ट्र की भावना के साथ लोगों को बहकाया था तो उस लिहाज से मीडिया को इस युद्ध का बड़ा कारण माना जा सकता है.
अभी भारत के अन्दर भी मीडिया हिन्दू-मुसलमान मुद्दों पर कुछ यही करता हुआ नजर आ रहा है.
कुछ लोग हथियार बेचना चाह रहे थे
इस युद्ध का एक कारण यह भी रहा था कि तब विश्व की कुछ ऐसी संस्थायें भी थीं जो अपने हथियार बेचना चाह रही थीं. संभी को पता था कि अगर युद्ध हो गया तो इससे इनको बहुत अधिक मुनाफा होगा. इस लिहाज से भी मीडिया को खरीदकर यह सब प्लान बनाया गया था.
तो क्या जर्मनी-रूस-इंग्लैंड और फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध कराने वाले प्रमुख देश थे? तो इसका जवाब भी आपको नहीं में ही मिलेगा.
दो छोटे से देश जिनका वजूद भी तब कुछ नहीं था, उन देशों का साथ देने और उन पर कब्ज़ा करने की होड़ के चलते इस युद्ध को लड़ा गया था.
आस्ट्रिया और सर्बिया…
यह दो देश इस युद्ध की वजह रहे हैं. सर्बिया में वहां के युवराज की हत्या की गयी थी. सर्बिया सरकार को इसकी जानकारी थी किन्तु किसी ने भी इस हत्या को रोकने का प्रयास नहीं किया था. वहीँ दूसरी तरफ जनता में इस बात से रोष था और आस्ट्रिया इस बवाल में आकर, सर्बिया से लड़ाई चालू कर देता है.
आस्ट्रिया और रूस दोनों की बाल्कन प्रायद्वीप पर कब्जा करना चाहते थे लेकिन यहाँ के अधिकतर लोग आस्ट्रिया के थे किन्तु रूस ने सबसे पहले अपन सेना को युद्ध के लिए तैयार होने के निर्देश दिए थे. रूस ने जैसे ही प्रायद्वीप पर कब्ज़ा करना चालू किया तभी यह युद्ध शुरू हुआ बताया जाता है.
तो कुलमिलाकर देखें तो तो इस युद्ध की कोई बड़ी वजह नहीं थी. किन्तु राष्ट्र और राष्ट्रीयता के कारण ही लाखों लोगों को मारा गया था. अगर वर्तमान में इस तरह के कुछ दृश्य देखने हों तो भारत के अन्दर भी यही कुछ विषय जन्म लेते आपको दिख जायेंगे.
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