2) रहने की जगह
वैसे तो पैसा सबसे ज़्यादा बोलता है और जेब गर्म तो रहने की चिंता ही नहीं! लेकिन फिर भी देखा जाए तो मुंबई में रहने के साधन आसानी से उपलब्ध हैं, भले ही जेब में कितना भी पैसा हो, या चाहे ना ही हो! जहाँ दिल्ली में सिर्फ़ घर ही मिलते हैं, मुंबई में घर के नाम पर खोली भी मिल जाया करती है! हाँ यह बात और है कि मुंबई में छोटे-छोटे घरों में जेल जैसा अनुभव होता है और वहीं दिल्ली के बड़े मकानों में राजाओं वाली फ़ीलिंग आती है!