महिलाओं को जब भी मासिक धर्म आता है तो उन्हें दुनियाभर के कई नियमों का पालन करना पड़ता है. खासकर हिंदुस्तान के ज्यादातर घरों में मासिक धर्म के दौरान लड़कियों या महिलाओं को किचन और मंदिर में जाने की इजाजत नहीं दी जाती है जबकि कुछ-कुछ घरों में उन्हें बिस्तर पर सोने नहीं दिया जाता है.
मासिक धर्म के दौरान लड़कियों और महिलाओं को अपवित्र माना जाता है इसलिए उन्हें कई तरह के नियमों का सख्ती से पालन भी करना पड़ता है. हालांकि महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर अलग-अलग धर्मों में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. तो चलिए इस लेख के जरिए जानते हैं कि कौन से धर्म में पीरियड्स को लेकर कौन सी धारणा है.
1- हिंदू धर्म
हिंदू धर्म में प्रचलित पौराणिक मान्यता के अनुसार मासिक धर्म के दौरान महिलाएं अपवित्र होती हैं और उन्हें पूजा-पाठ नहीं करने दिया जाता है. कहा जाता है कि इंद्र के घमंड के चलते देव गुरू बृहस्तपति इंद्र लोक छोड़कर चले गए जिससे इंद्र कमजोर हो गए और उसी समय असुरों ने इंद्रलोक पर आक्रमण कर दिया.
असुरों के आतंक से भयभीत होकर जब देवराज इंद्र ब्रह्मा जी के पास गए तो उन्होंने इंद्र को ब्रह्म ज्ञानी की मदद लेने को कहा. ब्रह्म ज्ञानी असुर के पुत्र थे और हवन के समय उन्होंने देवताओं के बजाय असुरों के नाम की आहुति डाली. इससे गुस्से में आकर इंद्र ने उस ब्रह्म ज्ञानी की हत्या कर दी और उनपर ब्रह्म हत्या का पाप लगा.
अपने इस पाप से पीछा छुड़ाने के लिए कई वर्षों तक इंद्र एक फूल में छुपे रहे और भगवान विष्णु की आराधना करते रहे. इंद्र की तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने कहा कि आप अपना पाप दूसरों में बांट दें. जिसके बाद इंद्र ने ब्रह्म हत्या के इस पाप को पेड़, पानी, जमीन और नारी में बराबर-बराबर बांट दिया, जिसके कारण महिलाओं को हर महिने मासिक धर्म होने लगा. क्योंकि महिलाओं पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था इसलिए मासिक धर्म के दौरान उनके मंदिर जाने या पूजा-पाठ करने पर पाबंदी होती है.
2- इस्लाम धर्म
इस्लाम धर्म के पवित्र कुरान में 2:222 के अनुसार, बताया गया है कि अगर कोई मासिक धर्म के बारे में पूछे तो कहिए कि ये अपवित्रता है. इस दौरान महिलाओं से दूर रहना चाहिए और उनके पास तभी जाना चाहिए जब वो पूरी तरह से पवित्र हो चुकी हों. इस्लाम धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को कुरान छूने, मस्जिद जाने और शारीरिक संबंध बनाने इजाजत नहीं दी जाती है.
3- ईसाई धर्म
ईसाई धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपवित्र नहीं माना जाता है. इस धर्म की खासियत यह है कि पीरियड्स के नाम पर महिलाओं के साथ अत्याचार ना के बराबर होता है. हालांकि बाइबल यानी ओल्ड टेस्टामेंट में कुछ जगहों पर इसे अपवित्र कहा गया है. लेकिन कहीं भी महिलाओं को दूर करने की बात नहीं कही गई है.
4- बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपवित्र बिल्कुल भी नहीं माना जाता है, लेकिन बौद्ध धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार पीरियड्स के दौरान महिलाएं अपनी जिंदगी की कुछ शक्तियों को खो देती हैं. इस दौरान खून पीने वाले भूत-पिशाच उनके पीछे लग सकते हैं और वो आत्माओं के खतरे में रहती है. हालांकि इस धर्म में भी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं का मंदिर जाना वर्जित है.
5- सिख धर्म
सभी धर्मों में से सिर्फ सिख धर्म ही ऐसा है जो महिलाओं को पीरियड्स के समय पवित्र मानता है. महिलाएं इस समय और भी ज्यादा पूजनीय हो जाती हैं. सिख धर्म के रचियता गुरू नानक के अनुसार एक मां का खून जीवन देने के लिए बहुत जरूरी होता है और इसलिए ये पवित्र है. सिख धर्म को सभी धर्मों में से महिलाओं का सम्मान करने वाला सबसे अच्छा धर्म माना जाता है.
गौरतलब है कि कुछ धर्मों में महिलाओं के मासिक धर्म को अपवित्र नहीं माना जाता है जबकि हिंदू और मुस्लिम धर्म में इसे अपवित्र माना जाता है और मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को कई नियमों का सख्ती से पालन करना पड़ता है.
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