आज हर धर्म का इंसान एक दुसरे को मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और चर्च के नाम पर मार रहा है.
धर्म के ठेकेदारों के अनुसार भगवान मदिर, मस्जिद, पत्थर, कब्र में रहते हैं. लेकिन क्या आपने दिल से कभी सोचा है कि भगवान या अल्लाह की पारिभाष क्या है.
धर्म कोई भी हो. आस्था कैसी भी हो. लेकिन हर धर्म के अनुसार भगवान वही होता है जो हमारा भला कर हमारी तकलीफ को कम करता है. मगर ये भगवान कहाँ मिलते है?
तो आइये जानते हैं कहाँ कहाँ मिलते है भगवान
अच्छे काम में
जब हम किसी की मदद कर अच्छा काम करते हैं तो उस वक़्त हमारे अंदर होते है भगवान और जब हम किसी को मुसीबत में फसा कर, देख कर और छोड़ कर भाग जाते हैं तो उसी वक़्त हमारे अंदर शैतान होता है.
सही सोच में
जब हम अपनी गलती मानकर सुधरने की सोचते हैं, सही दिशा में आगे बढ़ते हैं, अपनी सोच हमेशा अच्छी रखते हैं, तब हमारे अंदर होते हैं भगवान. जब हम बिना गलती के किसी से चिढ़ते है, किसी के लिए बुरी सोच और बुरी नियत रखते हैं, तब हमारे अंदर होते है शैतान.
न्याय दिलाने में
जब हम किसी के साथ अन्याय होते देख कर उसको न्याय दिलाने के लिए लड़ते हैं, आगे बढ़ते है, बिना किसी मुसीबत के परवाह किये न्याय की उम्मीद और आशा को जिन्दा रखते हैं, तब हमारे अंदर होते हैं भगवान. जब हम किसीको बिना गलती सजा दिलाते हैं या सजा होते हुए देखते है, तब हमारे अंदर होता है शैतान.
अच्छी शिक्षा में
माँ पिता और गुरु को भगवान का दर्जा इसलिए दिया जाता है क्योकि वह हमे सबका भला करने की शिक्षा देते है. जब हम इस शिक्षा को अपना कर सही राह पर चलते तब हमारे अंदर होते भगवान. जब हम हमारी सारी अच्छी शिक्षा को भूलकर गलत राह पर चलते है और औरों को भी उस राह पर खीचते है या लाते हैं तब हमारे अंदर होता है शैतान.
सेवा भाव में
जब हम किसी जीव के बिना स्वार्थ मदद करते हैं, किसी की निस्वार्थ सेवा करते हैं, तब हमारे अंदर होते हैं भगवान. जब हम उस सेवा भाव को स्वार्थ से जोड़ देते हैं, उस सेवा भाव में मुनाफा खोजते, तो उस वक़्त हमारे अंदर होता है शैतान.
कहाँ मिलते है भगवान – इस सवाल के जवाब में एक शब्द में कहा जाए तो जो अच्छा करता है वह भगवान है और जो बुरा करता है वह शैतान है.
वास्तव में भगवान सिर्फ हमारी अच्छाई है और शैतान हमारी बुराई. इसलिए कहा जाता है “मोको कहा ढूंढे रे बन्दे मै तो हूँ तेरे पास में”
भगवान को जिन्दा रखने के लिए हमे हमारी अच्छाई को जिन्दा रखना जरुरी है.
कहाँ मिलते है भगवान – भगवान् हमारे अन्दर ही मिलते है.