कहते हैं-
मौजूं के इत्तेहाद का आलम ना पूँछिये,
कतरा उठा और समंदर उठा दिया।
उपर्युक्त पंक्तियाँ उन चंद लोगों के लिए हैं जिन्होंने तरह-तरह के अभावों के बावजूद न सिर्फ एक मुकाम हासिल किया बल्कि एक ऐसे समाज के निर्माण में भी योगदान दिया जिसका सपना कभी कलाम ने देखा था।
आज इस संक्षिप्त आर्टिकल में हम बात करने जा रहे हैं बिहार (गया) की मामूली सी पृष्ठभूमि से आये एक ऐसे शिक्षक की जिसने अपने बुलंद हौंसलो से एक ऐसी कहानी की नींव रखी जो सतत जारी है।
हम बात कर रहे हैं पेशे से लॉयर,बार कौन्सेल ऑफ़ इंडिया के मेंबर, दिग्वानी कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन के डायरेक्टर और इन सब बातों से भी बढ़कर जियोग्राफी स्पेशलिस्ट आलोक रंजन की। जिन्होंने अपनी प्रतिभा,विश्लेषण क्षमता तथा ज्ञान का प्रयोग करते हुए भारत में प्रशासनिक अधिकारियो की भर्ती करने वाली संस्था यूपीएससी से प्रतिस्पर्धा की और परिणाम स्वरुप 1100 आईएएस का चयन करवाया। सर्वे के तहत लिया गया यह आंकड़ा केवल 2007 से 2016 के बीच का है।
मजे की बात तो ये है कि चाहे प्रारंभिक परीक्षा के सवाल हो या मुख्य परीक्षा के, इनके नोट्स से आपको कुछ न कुछ सवाल हूबहू परीक्षा में आज भी मिल जाते हैं।
आज इस आर्टिकल के जरिये आलोक रंजन का जिक्र इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जहाँ दौलत और शौहरत के नशे में तमाम लोगों की आँखें चौंध जाती हैं वही ये एक ऐसे शख्स है जिन्होंने अपनी सफलताओं को ऐसे लोगों के साथ शेयर किया है जो खुद कुछ करने में अक्षम हैं। इन्होंने अपने परिश्रम का लाभ न सिर्फ ब्लाइंड स्कूलों के साथ बांटा बल्कि बच्चों में शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए हर वर्ष NCERT कार्यक्रम भी चलाया जिसमे आज भी करीब दस हज़ार स्कूली बच्चों की भूमिका सुनिश्चित की जाती है।
वन मेन एंड मल्टी डायमेंशनल पर्सनालिटी का उदाहरण बनते हुए इन्होंने सिर्फ इतना ही नहीं किया बल्कि मगध के इतिहास की गौरवशाली परम्पराओं को बनाये रखने के लिए “फगुआ आयल हे” जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का वार्षिक आयोजन भी करवाया।
इनके परिश्रम का ही परिणाम है कि आज ये अपनी दिल्ली स्थित आईएएस की कक्षाओं में स्टूडेंट्स के बीच सबसे लोकप्रिय शिक्षकों में शुमार हो चुके हैं। इसका कारण है कि इनका उद्देश्य न सिर्फ सिलेबस पढ़ाना है बल्कि बच्चों को संसार के विविध पहलुओं से अवगत कराना भी है फिर चाहे मुद्दे प्रकृति की सजीवता से जुड़े हों संसार में फैली निर्जीवता से।
इन सब बातों के प्रमाण स्वरूप यहाँ महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जब #एशिया_वन_मैगजीन ने यूपीएससी क्वालीफाई कर चुके भारत के बिभिन्न छात्रों से बात की और उनसे बेहतरीन शिक्षक अथवा यूपीएससी के दौरान गाइड करने वाले व्यक्ति का नाम पूंछा तब ओवरऑल सर्वे में जिस टीचर का नाम सबसे आगे आया वह नाम भी आलोक रंजन का ही था।
उपर्युक्त बातों से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आलोक जैसे टीचर सिर्फ दिल्ली में रह रहे छात्रों का ही नहीं बल्कि अपने नोट्स, सेमिनार्स के माध्यम से पूरे भारत देश के उन विद्यार्थियों का भी मार्गदर्शन करते हैं जो अपनी आँखों में एक उज्जवल भविष्य की किरण पाले हुए हैं।