धर्म और भाग्य

माता सीता को इस राक्षणि ने दिये थे कुछ ऐसे ताने जिन्हें सुनकर रो पड़ी थी माता !

शूर्पनखा – भारतीय संस्कृति में कुछ नाम ऐसे समाहित हैं जिन्हें सोचने मात्र से ही मन पवित्र हो जाता है.

एक ऐसा ही नाम है माता सीता का. जी हाँ, वही माता सीता, जिन्हें मृत्यु से पहले ही धरती माँ की कोख में समा जाना पड़ा, वही माता सीता जो अपना सबकुछ छोड़कर भगवान् राम के पास आयीं और भगवान् ने एक धोबी के कहने पर उन्हें अग्नि परीक्षा देने के लिए कह दिया.

माता सीता एक ऐसी देवी थीं, जिन्हों ने कभी भी अपने हित के बारे में नहीं सोचा. पति के वन जाते ही खुद भी साथ लग गई और जब पति ने भरी सभा में त्याग किया तो चुपचाप वो वहां से चली गईं.

दो वर्ष रावण के पास रहनेके कारण सीता के प्रति समाज के एक वर्ग में संदेह उत्पन्न हो चला था। लोगोंको विश्वास नहीं हुआ कि मां सीता पहले की तरह ही पवित्र और सती है. भारतीय समाज में सीता को परम पवित्र और आदर्श नारी का दर्जा प्राप्त है, लेकिन समाज में यह धारणा भी प्रचलित है कि माता सीता को भगवान राम ने समाज द्वारा सवाल उठाए जाने पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए छोड़ दिया था. राम पर यहआरोप कहां तक उचित है.

भगवान राम और माता सीता एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे, लेकिन अपने समाज के लिए इन दोनों ने खुद से विरह लिया और पीड़ा में रहे.

माता सीता की कहानी हर इंसान की आँखों में आंसू ला देती है.

माता सीता जो अपने पिता की दुलारी थीं, न जाने कितने दुःख उठाकर इस जीवन का यापन किया और अपने दोनों बच्चों का पालन-पोषण किया. माता सीता पर हर समय लोग ताने कसते रहे. कभी उनके ही राज्य का धोबी तो कभी रावन की बहन शूर्पनखा ने उन्हें बहुत तकलीफ दी. शूर्पनखा ने उन्हें खरी खोटी सुनाई, जिससे माता सीता बिलख पड़ीं.

बात तब की है जब माता सीता अशोक वाटिका में रावण द्वारा बंदिनी बनाई गई थीं. उस समय शूर्पनखा हमेशा वाटिका में आती और माता सीता को ताना मारती. शूर्पनखा, सीता की इस स्थिति को देखकर बहुत प्रसन्न थी. उसे आनंद आ रहा था कि आखिर जिस तरह से राम ने उसका अपमान किया तह और अपने छोटे भाई से उसकी नाक कटवा दी थी आज उसी राम की पत्नी यहाँ अशोक वाटिका में पड़ी हैं. उसने सीता को ताने मारने शुरू कर दिए, कैसे एक बार राम ने उसे अस्वीकार किया था और कैसे अब श्रीराम ने सीता को त्याग दिया है.

शूर्पनखा बार बार माता सीता से यही कहती कि जिस तरह से राम ने उसका अपमान किया था आज उसी तरह से उन्होंने सीता का भी अपमान करके यहाँ अशोक वाटिका में छोड़ दिया है.

शूर्पनखा की ये बातें सीता माता को ह्रदय में तलवार की तरह चुभती थीं. सीता जी को ये बातें अभूत बुरी लगती और वो अकेले में खूब रोया करती थीं. शूर्पनखा ने सीता को यह भी दिलाना शुरू किया कि कैसे उनके पति भगवान राम ने उसका असम्मान किया था. शूर्पनखा ने सीता से कहा कि आज उनकी यह स्थिति देखकर वह बहुत खुश और संतुष्ट है. माता सीता ने कभी भी शूर्पनखा की बातों का जवाब नहीं दिया.

इसे ही कहते हैं सज्जनता. माता सीता इतनी परेशानी में रहने के बाद भी शूर्पनखा जैसी औरत का भी अपमान नहीं किया और बस, अपने पति का स्मरण करके उनका इंतज़ार करती रहीं.

Shweta Singh

Share
Published by
Shweta Singh

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago