पुलिस की खाकी वर्दी पहनते समय ये पुलिवासे जनता की रक्षा करने के साथ ही कानून के नियमों का पालन करने का वचन भी देते हैं. इसलिए पुलिसवालों को जनता का रक्षक समझा जाता है लेकिन ज़रा सोचिए जब यही रक्षक भक्षक बन जाएं तो ऐसे में जनता की रक्षा कौन करेगा?
हमारे देश में आए दिन खाकी वर्दीवालों की गुंडागर्दी, दबंगई और दरिंदगी की खबरें आती रहती है, जिसकी वजह से इन पुलिस वालों से रक्षा की उम्मीद करनेवाली जनता अब इनके सामने जाने से बचने की कोशिश करती है.
लेकिन आज हम आपको पुलिस वालों की दरिंगदी और इंसानियत को शर्मसार करनेवाली एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे ना सिर्फ खाकी वर्दी पर बल्कि पूरी कानून व्यवस्था पर से लोगों की भरोसा उठ जाएगा.
बिहार के भागलपुर में पुलिसवालों की दरिंदगी
दरअसल कहने को तो बिहार में मुख्यमंत्री नितीश कुमार का सुशासन चलता है और महिलाओं की बहुत इज्जत की जाती है लेकिन उनके इस सुशासन की पोल यहां के पुलिसवालों ने खोलकर रख दी है.
बताया जाता है कि चंद रोज़ पहले कुछ गरीब दलित महिलाएं भागलपुर के कलेक्टर कार्यालय के बाहर इंदिरा आवास ना मिलने से नाराज़ होकर धरना देने पहुंची. ये दलित महिलाएं प्रशासन और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कलेक्टर ऑफिस के बाहर धरने पर बठ गईं.
धरने पर बैठी इन महिलाओं की आवाज़ को दबाने के लिए खाकी वर्दीधारी पुलिसवाले वहां पहुंच गए और फिर उन्होंने अपनी दरिंदगी दिखानी शुरू कर दी. इन पुलिसवालों को जो भी मिला उनपर ये बेरहमी से लाठियां बरसाने लगे. महिलाएं, बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे सभी इन पुलिसवालों की लाठियों के शिकार हो गए.
पुलिवालों ने बेरहमी से फाड़े महिलाओं के कपड़े
इन महिलाओं की गलती सिर्फ इतनी सी थी कि ये सभी इंदिरा आवास की मांग कर रही थीं, फिर क्या था उम्रदराज़ महिलाएं हो या फिर जवान महिलाएं इन पुलिसवालों ने दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए ना सिर्फ उन महिलाओं के निजी अंगों पर लात मारा बल्कि उनके स्तन के ऊपर के कपड़े तक फाड़ दिए.
पुलिस की लाठीचार्ज से पूरे परिसर में भगदड़ मच गई, जिसमें पुलिसवालों ने लाठियों के साथ महिलाओं पर लात घुसे भी बरसाए, जिसमें कई महिलाओं और मासूम बच्चों को चोटें भी आई. जब इतने पर भी मन नहीं भरा तो खाकी वर्दीवाले इन महिलाओं को बेरहमी से ज़मीन पर घसीटने लगे. जिसमें कई महिलाएं बेहोश हो गई और उनके तन के कपड़े तक फट गए.
यहां उससे भी हैरान करनेवाली बात यह है कि आवास की मांग करनेवाली इन गरीब दलित महिलाओं के साथ पुलिसवालों की ये दरिंदगी काफी देर तक चलती रही लेकिन महिलाओं के सम्मान की बात करनेवाला प्रशासन चुपचाप तमाशा देखता रहा.
ऐसे में यह सवाल उठता है कि कानून को ताक पर रखकर बेरहमी से महिलाओं के प्राइवेट प्रार्ट्स पर लात घूसे बरसाने और उनके तन के कपड़े फाड़नेवाले इन पुलिसवालों पर प्रशासन कोई कार्रवाई करेगी या फिर इस घिनौनी करतूत के लिए उन्हें बख्श दिया जाएगा.
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