जब विष्णु को इस बात का पता चला तो वो अत्यंत क्रोधित हो उठे और भगवान शिव को युद्ध के लिए ललकारने लगे. वृश्भ्ह रुपी शिव और विष्णु में भीषण युद्ध हुआ. ये युद्ध लगातार कई वर्षों तक चलता रहा लेकिन दोनों में से कोई भी देवता युद्ध से पीछे नहीं हट रहा था. इस भीषण युद्ध को देखकर देवता और दानव सभी भयभीत हो गए.
पाताल कि अप्सराओं ने इस भीषण युद्ध को देखकर भगवन विष्णु को अपने वरदान से मुक्त कर दिया. इसके बाद युद्ध खत्म हुआ और भगवान विष्णु पाताल से बैकुंठ वापस चले गए.
तो देखा आपने कैसे सृष्टि के पालक और संहारक एक दुसरे की जान के दुश्मन बन गए थे.अगर समय रहते ये युद्ध रोका नहीं जाता तो सृष्टि का सर्वनाश निश्चित था.