आज हम बिना भूमिका के ही सीधे मुद्दे की बात करते हैं.
अंग्रेजों से पहले तक भारतीय शिक्षा नीति गुरुकुल पर आधारित होती थी. तब उस परम्परा में नौकरी की जगह लघु उद्योगों पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता था.
भारत में जब रिसर्च के लिए जापान, चीन और पूरे यूरोप के लोग आते थे.
इसी क्रम में इंग्लैंड से लार्ड मैकाले नाम का विद्वान भारत में आया. जब वह कुछ साल भारत में रहा तो उसने इंग्लैंड में रानी को यहाँ से खत द्वारा बताया कि भारत को आप कभी भी गुलाम नहीं बना सकते हैं. यहाँ के संस्कार और रीति-रिवाजों की वजह से यहाँ की ताकत और तासीर दोनों ही महान हैं. लोग पानी, हवा और पेड़ों की पूजा करते हैं. यहाँ के विज्ञान को कोई नहीं झूठा साबित कर सकता है. आप भूल जाए कि भारत गुलाम बन सकता है.
लार्ड मैकाले के शब्द:-
“मैं भारत के कोने कोने में घुमा हूँ.. मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया, जो भिखारी हो ,जो चोर हो, इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है,इतने ऊँचे चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं,की मैं नहीं समझता की हम कभी भी इस देश को जीत पाएँगे,जब तक इसकी रीढ़ की हड्डी को नहीं तोड़ देते जो इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है. और इसलिए मैं ये प्रस्ताव रखता हूँ की हम इसकी पुराणी और पुरातन शिक्षा व्यवस्था,उसकी संस्कृति को बदल डालें,क्युकी अगर भारतीय सोचने लग गए की जो भी बिदेशी और अंग्रेजी है वह अच्छा है,और उनकी अपनी चीजों से बेहतर है ,तो वे अपने आत्मगौरव और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे और वैसे बनजाएंगे जैसा हम चाहते हैं.एक पूर्णरूप से गुलाम भारत ”
जब यह रानी और इंग्लैंड के ओर लोगों ने पढ़ा तो उन्हें बहुत अजीब लगा. इन लोगों ने लार्ड मैकाले को ही यह जिम्मा सौपा कि अब आप ही बताओ कि कैसे भारत पर राज किया जाए और इस देश को गुलाम बनाया जाये.
तब क्या बोला था लार्ड मैकाले:-
लार्ड मैकाले को इस काम के लिए जब पैसों का लालच मिला तब इसने बताया कि भारत को अगर गुलाम बनाना है और यहाँ राज करना है तो सबसे पहले इन लोगों को इनकी जड़ों से काट दो. इनके रीति-रिवाजों और परम्परा को खत्म करो. पश्चिम का भूत इन लोगों के सर पर चढाओ.
गंगा माँ नहीं है मात्र नदी है, गाय एक जानवर है, पेड़-पौधे हमारे लिय एकुच नहीं हैं, हवा भगवान की नहीं है. हर चीज में यहं विज्ञान डाला गया. और देश की शिक्षा नीति को हो बर्बाद कर, उसकी जगह नई नीति आई जो अंग्रेजों द्वारा बने गयी है.
आज यह सोने की चिड़िया कहने वाला देश पश्चिम की हर चीज पर गर्व कर रहा है.
हमारे युवाओं को खोखला कर दिया गया है. देश का दुर्भाग्य है कि आज आजादी के बाद ही अंग्रेज ही हमपर राज कर रहे हैं और हमारे असली इतिहास को हमसे छुपा दिया गया है.
इसी मैकाले ने हमारे वेदों का अनुवाद अंग्रेजी में किया है जहाँ बताया गया है कि देवता गो-मांस खाते थे.
इसी को आज हमारा समाज पढ़ रहा है.
यह बेवकूफ समाज असली बातें और असली इतिहास पढ़ना ही नहीं चाह रहा है.
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