दोस्तों महाभारत में इस बात का जिक्र किया गया है कि युद्ध के दौरान हनुमान जी अर्जुन के रथ पर स्वयं विराजित थे. लेकिन जैसे हीं युद्ध समाप्त हुआ हनुमान जी उनके रथ से चले गए.
इस बात से तो हम सभी भली-भांति वाकिफ हैं कि महाभारत युद्ध के दौरान क्या-क्या घटित हुआ.
लेकिन शायद हीं आपको इस बात की जानकारी हो कि अर्जुन के रथ पर से महावीर हनुमान के जाने के बाद क्या हुआ.
आइए हम आपको बताते हैं उसके बाद की सम्पूर्ण घटना.
महाभारत के अनुसार कहा जाता है कि जब पांडव सेना ने कौरव सेना का विनाश कर दिया तो दुर्योधन वहां से भागकर एक तालाब में जा छिपा. जब पांडवों को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने युद्ध के लिए दुर्योधन को ललकारा. जिस पर दुर्योधन तालाब से बाहर निकल आया और भीम ने दुर्योधन को पराजित कर दिया. मरणासन्न अवस्था में ही दुर्योधन को छोड़कर पांडव अपने-अपने रथ पर सवार होकर कौरवों के शिविर में आ गए. तब अर्जुन से भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि वो पहले रथ से उतरे और उसके बाद वो स्वयं उतरे.
जैसे हीं भगवान श्रीकृष्ण रथ से उतरे हनुमान जी भी वहां से उठ गए और देखते हीं देखते अर्जुन का रथ जल उठा, जल कर राख हो गया. ऐसे में अर्जुन काफी अचंभित हुए और उन्होंने श्रीकृष्ण से इसका कारण जानना चाहा. तब भगवान कृष्ण ने बताया कि ये रथ तो दिव्यास्त्रों के वार से बहुत पहले हीं जल गया था. चुकी मैं वहां बैठा था इस कारण अब तक ये जल नहीं हो पाया था. अब जब कि तुम्हारा काम पूरा हो चुका है, तब मैंने उसे छोड़ दिया. इसलिए अब ये रथ भस्म हो गया.
द्रोपति ने कहा था भीम को कमल लाने के लिए
जब पांडव वनवास में थे तो बद्रीकाश्रम में एक दिन उड़ते हुए एक सहस्त्रदल कमल पहुंच गया था. द्रौपदी ने उस कमल को उठा लिया और भीम से कहा ये बहुत हीं खूबसूरत है. मैं ये कमल धर्मराज युधिष्ठिर को भेंट स्वरूप प्रदान करना चाहती हूं. आप मुझे ऐसे बहुत सारे कमल लाकर दीजिए. द्रौपदी की बात सुनकर भीम उसी ओर चल पड़े जिधर से कमल उड़कर बद्रिकाश्रम आया था. भीम के चलने से बादलों के समान भीषण आवाज गूंजती थी. जिससे डर कर उस जगह पर रहने वाले पशु-पक्षी भागने लगे.