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कहानी उस रात की जब महाभारत में मारे गए शूरवीर हुए फिर से जीवित!

महाभारत एक से बढ़कर एक अनोखी गाथाओं से भरी पड़ी है.  एक-एक कथा दूसरी से अनूठी.

चाहे भीम के बल की बात हो या घटोत्कच का बल या कृष्ण की माया या फिर अर्जुन का शौर्य. हर कहानी ऐसी जिसमे रोमांच है.

इसीलिए शायद दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धर्मग्रंथों में से एक है महाभारत.

आज महाभारत की एक ऐसी अनसुनी कथा आपको बताएँगे जिसे सुनकर आपको आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रहेंगी.

पश्चिमी साहित्य और सिनेमा में ऐसी कहानियां बहुत बार मिलती है जिनमे बताया और दिखाया जाता है कि कैसे कोई मरकर वापस आ जाता है. कुछ पलों के लिए अपनों के साथ रहने.  हमारे देश में ऐसी कहानियां नहीं है,लेकिन ये बात सच नहीं है.

आज बताते है कहानी उस रात की जब महाभारत में मारे गए शूरवीर हुए फिर से जीवित…

महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने राजगद्दी संभाली. अर्जुन,भीम,नकुल और सहदेव की सहायता से कुशलतापूर्वक राज्य की देखभाल कर रहे थे.

कुंती,गांधारी और धृतराष्ट्र भी उनके साथ ही रहते थे.युधिष्ठिर तो गांधारी और धृतराष्ट्र को समुचित सम्मान देते थे पर भीम उनसे कुछ चिढ़े रहते है.

15 साल तक हस्तिनापुर रहने के बाद धृतराष्ट्र ने युद्ध में मारे गए शूरवीरों का श्राद्ध करवाया और वन में जाकर तप करने की इच्छा जताई.

कुंती ने भी उन दोनों के साथ जाने का निश्चय किया.

कुंती,गांधारी और धृतराष्ट्र के साथ संजय और विदुर भी वन गए.  वन में ये सभी लोग महर्षि शतयूप के आश्रम में रहकर तप करने लगे.

इसी प्रकार एक साल बीत गया उसके बाद युधिष्ठिर सभी पांडवों, द्रौपदी और हस्तिनापुर के नागरिकों के साथ अपने बुजुर्गों के दर्शनार्थ आये.

विदुर जी उस समय कठोर तप कर रहे थे जब युधिष्ठिर उनसे मिलने पहुंचे तो उन्होंने वहीँ पर प्राण त्याग दिए और विदुर का तेज़ युधिष्ठिर में समा गया क्योंकि विदुर भी धर्मराज का ही अंश थे.

जब इस बात का पता शेष बुजुर्गों को हुआ तो उनका मन व्याकुल हुआ तब महर्षि वेदव्यास ने विदुर जी का धर्मराज का अवतार होने की बात बताई. साथी ही पांडवों और धृतराष्ट्र से कुछ मांगने को कहा.

गांधारी,कुंती और धृतराष्ट्र ने महाभारत युद्ध में मारे गए अपने पुत्रों और प्रियजनों को देखने की इच्छा जताई.

महर्षि वेदव्यास ने अपनी तप शक्ति के जरिये कौरव और पांडव दोनों पक्षों के मृत योद्धाओं का गंगा के तट पर आह्वान किया.

धीरे धीरे महाभारत युद्ध में मारे गए सभी वीर एक एक कर गंगा से प्रकट होने लगे. अब उनमें किसी तरह का राग या द्वेष नहीं था उन सबके चेहरे पर असीम शांति और तेज़ था. भीष्म, अभिमन्यु,दुर्योधन,कर्ण,द्रुपद,द्रोणाचार्य, घटोत्कच,शिखंडीसभी जीवित हो गए और अपने प्रियजनों से मिले.

युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने के बाद अपने प्रियजनों से मिलकर सभी भाव विहल हो गए. इस प्रक्कर महर्षि वेड व्यास ने अपने तप के प्रभाव से महाभारत के मृत योद्धाओं को जीवित करके उनके प्रियजनों की इच्छा पूरी की.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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