पाताल लोक के बारे में आपने भी किस्से कहानियों में बहुत सुना होगा, लेकिन क्या असल में कभी ऐसी कोई जगह थी या बस ये एक कोरी कल्पना भर है.
पाताल लोक यानी जमीन के नीचे की दुनिया जिसे हिंदू धर्म में नरक भी माना जाता है. पौराणिक कथाओं में तो इसका ज़िक्र है ऐसे में इसके अस्तित्व को सिरे से खारिज नही किया जा सकता, मगर क्या विज्ञान इस बात को मानता है?
पाताल लोक हमेशा से ही लोगों के लिए रहस्य का विषय रहा है. हर कोई सोचता है कि क्या सचमुच ऐसी कोई जगह कभी थी या बस ये सुनी सुनाई बाते हैं, तो हम आपको बता दें कि हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मध्य अमेरिका महाद्वीप के होंडुरास में सियूदाद ब्लांका नाम के एक गुम प्राचीन शहर की खोज की है. वैज्ञानिकों ने इस शहर को आधुनिक लाइडर तकनीक से खोज निकाला है.
इस शहर को बहुत से जानकार वो पाताल लोक मान रहे हैं जहां राम भक्त हनुमान पहुंचे थे. दरअसल, इस विश्वास की कई पुख्ता वजह है. संभव है कि भारत या श्रीलंका से कोई सुरंग खोदी जाएगी तो वो सीधे यहीं निकलेगी. दूसरी वजह ये है कि वक्त की हजारों साल पुरानी परतों में दफन सियुदाद ब्लांका में ठीक राम भक्त हनुमान के जैसे वानर देवता की मूर्तियां मिली है.
होंडूरास के गुप्त प्राचीन शहर के बारे में सबसे पहले ध्यान दिलाने वाले अमेरिकी खोजी थियोडोर मोर्डे ने दावा किया था कि स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया था कि वहां के प्राचीन लोग वानर देवता की ही पूजा करते थे. उस वानर देवता की कहानी काफी हद तक मकरध्वजा की कथा से मिलती-जुलती है. हालांकि अभी तक प्राचीन शहर सियूदाद ब्लांका और रामकथा में कोई सीधा रिश्ता नहीं मिला है.
लेकिन वैज्ञानिकों की इस खोज से ये तो साबित हो जाता है कि पाताल लोग कोरी कल्पना भर नहीं है. हमारे पुराणों में भी इसका ज़िक्र है. रामायण की कथा के मुताबिक पवनपुत्र हनुमान पाताल लोक तक पहुंचे थे. कहा जाता है कि हनुमान अपने ईष्ट देव को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए एक सुरंग से पाताल लोक पहुंचे थे. कथा के मुताबिक पाताल लोक ठीक धरती के नीचे हैं.
पाताल में जाने के रास्ते
आपने धरती पर ऐसी कई जगहों को देखा या उनके बारे में सुना होगा जिनके नाम के आगे पाताल लगा हुआ है, जैसे पातालकोट, पातालपानी, पातालद्वार,पाताल भैरवी, पाताल दुर्ग, देवलोक पाताल भुवनेश्वर आदि.
नर्मदा नदी को भी पाताल नदी कहा जाता है. नदी के भीतर भी ऐसे कई स्थान होते हैं, जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है. समुद्र में भी ऐसे कई रास्ते हैं, जहां से पाताल लोक पहुंचा जा सकता है. धरती के 75 प्रतिशत भाग पर तो जल ही है. पाताल लोक कोई कल्पना नहीं. पुराणों में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है.
कहते हैं कि ऐसी कई गुफाएं हैं, जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है. ऐसी गुफाओं का एक सिरा तो दिखता है लेकिन दूसरा कहां खत्म होता है, इसका किसी को पता नहीं. इसके अलावा प्राचीनकाल में समुद्र के तटवर्ती इलाके और रेगिस्तानी क्षेत्र को पाताल कहा जाता था. इतिहासकार मानते हैं कि वैदिक काल में धरती के तटवर्ती इलाके और खाड़ी देश को पाताल में माना जाता था.
पुराण और वैज्ञानिक खोज को देखते हुए पाताल लोक को केवल कल्पना नहीं माना जा सकता, क्योंकि पुराणों में भी जिस तरह से उसका विस्तृत वर्णन हैं और अमेरिकी वैज्ञानिकों ने जो खोज की उससे तो यही लगता है कि पाताल लोग का अस्तित्व था.