सुबह-सुबह काम पर जाने की जल्दी में कभी ध्यान ही नहीं दिया कि घर में एक अदद कामवाली बाई भी आती है!
उसकी ज़िम्मेदारी घरवालों पर जो छोड़ रखी है! लेकिन एक दिन मेरी छुट्टी थी और घरवालों को बाहर जाना था तो मुझे हमारी मौशी ( कामवाली बाई का प्यार का नाम) से बात करने का मौका मिला! दोस्तों, स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई तो ठीक है, मौशी ने जो शिक्षा दे डाली, पैसे देकर भी नहीं मिलेगी!
आओ बताऊँ क्या सीखा मैंने मेरी कामवाली बाई से और क्या सीख़ सकते हैं आप भी!
1) फ़टाफ़ट काम सीखना
अपना काम तो वो अच्छे से जानती ही थीं, नया काम सीखने में भी बिलकुल वक़्त नहीं लगाया! ऐसा लगा जैसे कुछ नया सीखने का शौक़ हैं उन्हें! सोचो अगर हम भी हमेशा नयी पढ़ाई, नयी बातें सीखते रहें तो करियर कितने जल्दी, कितना आगे बढ़ जाएगा!
2) मल्टीटास्किंग
एक तरफ़ गैस स्टोव पर सब्ज़ी चढ़ाई, दूसरी तरफ़ फ़टाफ़ट बर्तन कर डाले और दाल में तड़का लगाने से पहले घर में झाड़ू-कटका भी हो गया! मैं सोच रहा था दो ही हाथ हैं इनके पास या 8-10? मेरे काम में भी कई बार एक ही वक़्त पर अलग-अलग चीज़ें करने की ज़रुरत आ पड़ती है| पहले नहीं हो पाती थीं, अब मौशी को देख मैंने भी कोशिश शुरू कर दी है! आप का क्या हाल है?
3) ना कुछ बड़ा, ना कुछ छोटा
हमारा समाज बचपन से ही हमारे दिमाग़ में हज़ारों बेफ़िज़ूल की बातें भर देता है कि यह काम बड़ा है, ख़ास है, लेकिन वो काम छोटा है, हमारी हैसीयत से नीचे है और जाने क्या-क्या बकवास! लेकिन मौशी के लिए ना तो कोई काम छोटा है, ना बड़ा! काम बस काम है और करना है, पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ! क्यों, समझ गए ना मैं किस तरफ़ इशारा कर रहा हूँ?
4) काम के मज़े
गप्पें मारते हुए, हँसते-खेलते कब मौशी ने काम ख़त्म कर दिया, पता ही नहीं चला! मैंने उनके साथ पहली बार इतना वक़्त गुज़ारा और लगा जाने कब से दोस्त हैं मेरी! बाद में सोच के देखा तो पाया कि उन्होंने काम को काम की तरह नहीं किया, बल्कि ऐसे किया जैसे कि उन्हें मज़ा आ रहा हो, कोई मस्ती कर रही हों वो| यार होना तो ऐसे ही चाहिए ना? काम को बोझ समझ के किया तो क्या खाक़ काम किया?
5) अनुशासन
और यह सबसे ख़ास सीख़ थी मेरी| कई घरों में काम करती हैं वो लेकिन रोज़ ठीक समय पर सबके घर पहुँचती हैं, ठीक समय पर काम पूरा करती हैं और छुट्टी लेने के मामले में ख़ुद ही बड़ी कंजूस हैं! तभी तो लोग उन्हें इतना पसंद करते हैं और हमेशा डिमांड में बनी रहती हैं मौशी!
सोच के देखो तो यही गुण अगर हम सब में भी आ जाएँ तो ज़िन्दगी में तरक्की करने से भला कौन रोक पायेगा हमें?
मैं तो यार इन सभी बातों का पालन हर वक़्त करने लगा हूँ! आपको किस बात का इंतज़ार है?
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