3) ना कुछ बड़ा, ना कुछ छोटा
हमारा समाज बचपन से ही हमारे दिमाग़ में हज़ारों बेफ़िज़ूल की बातें भर देता है कि यह काम बड़ा है, ख़ास है, लेकिन वो काम छोटा है, हमारी हैसीयत से नीचे है और जाने क्या-क्या बकवास! लेकिन मौशी के लिए ना तो कोई काम छोटा है, ना बड़ा! काम बस काम है और करना है, पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ! क्यों, समझ गए ना मैं किस तरफ़ इशारा कर रहा हूँ?