राजनीति पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद अगर किसी पर जोक्स बनाया गया है तो वह राहुल गांधी है।
एक समय था जब जोक्स की दुनिया के बादशाह संता-बंता को केजरीवाल ने पीछे कर दिया था, वहीं अब फिर संता-बंता पीछे हो गया हैं लेकिन इस बार केजरीवाल ने नहीं बल्कि कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कारण।
उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस की हार का ठीकरा राहुल गांधी पर ही फोड़ा गया।
चुनाव परिणाम आने के साथ ही राहुल पर तंज भी कसने शुरु हो गए। किसी ने उन्हें पनौती कहा तो किसी कुछ, लेकिन राहुल ने इस बार पहले से अच्छा परिणाम कांग्रेस को दिया है। पंजाब की जीत भी तो उन्हीं के खाते में है। ध्यान से देखा जाए तो सोनिया गांधी इस बार पांच राज्यों के चुनाव में कहीं नहीं दिखी। इन सभी राज्यों की जिम्मेदारी राहुल के कंधे पर भी।
राहुल के भाषणों को व्यंगात्मक रुप से पेश किया जाने लगा। राहुल गांधी कांग्रेस के केन्द्र से बेदखल होने के बाद बहुत आक्रमक हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के केंद्र की सत्ता में बैठने के बाद उन्हें पहली बार आक्रमक रुख अपनाते देखा गया, लेकिन क्या आपको पता है कि राहुल गांधी भाषणों में कुछ चीजें सामान्य कहते हैं।
राहुल गांधी भाषणों में इमोशनल हो जाते हैं। इसके लिए उनका कई बार मजाक भी बनाया गया, दूसरा यह कि वो जब भी आक्रमक होते हैं तो अपने शर्ट की बाजू को फोल्ड करने लगते हैं।
यह उनका स्वभाव हो सकता है। लेकिन राहुल गांधी भाषणों में जो सबसे ज्यादा कॉमन है वो है… मैं प्रधानमंत्री जी से अनुरोध करता हूं….. मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं….. मैं नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करता हूं…. ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से राहुल गांधी भाषणों में अनुरोध ही करते रहते हैं।
वो आक्रमक भी होते हैं तो भी अनुरोध करते हैं और जब सामान्य होते हैं तो अनुरोध ही करते हैं।
वह इतने ही सामान्य और व्यवहारिक भाषण देते हैं कि कई बार यो उनके भाषण पर चर्चा होने लगती है कि क्या वो राजनीति कर भी पाएंगे।
राहुल शायद सोनिया गांधी के बेटे ना होते तो राजनीति ने उन्हें कब का बाहर का रास्ता दिखला दिया होता लेकिन राहुल की जबान अन्य नेताओं की तरह फिसलती नहीं है यह तो मानना ही पड़ेगा।
वो अपने भाषण में बहुत ही सामान्य शब्दों का और सामान्य लहजे का इस्तेमाल करते हैं।