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जब बिजली जाती है तो आज भी देसी बच्चे यही करते हैं!

आज़ादी के इतने सालों के बाद भी देश के हर शहर, हर गावँ में अभी तक बिजली नहीं पहुँच पायी है|

और अगर पहुँची भी है तो कोई पता ठिकाना नहीं है कि कब तक रहेगी, कब आएगी-कब जायेगी! बड़े परेशान होते हैं लेकिन बच्चों के मज़े हो जाते हैं|

आईये बताता हूँ हमारे देसी बच्चे, जिनके घरों में जनरेटर-इन्वर्टर नहीं हैं, क्या करते हैं बिजली के बिना:

1)  सबसे पहला लगता है किताबों पर ताला और रेस लगती है घर से बाहर दौड़ने की! अब अँधेरे में क्या पढ़ाई होगी लेकिन गली में क्रिकेट, पिट्ठू, भागम-दौड़ तो हो ही सकती है!

2)  और कुछ नहीं तो अपने माँ-बाप को पड़ोसियों के साथ गप्पें मारते ही सुन सकते हैं! गेट पर झूमते हुए या पड़ोसियों की दीवारों पर बैठे हुए सारे देश की राजनीती, सरकार का आलसपन और पसंदीदा टीवी सीरियल की जुदाई के क़िस्से पढ़ाई से ज़्यादा मज़ेदार लगने लगते हैं!

3)  अरे हाँ, पहले तो बाहर झाँक के देखा जाता है कि बिजली सिर्फ़ अपने घर की गयी या पूरे मोहल्ले की| और उसके बाद पक्का करने के लिए कुछ रिश्तेदारों को भी फ़ोन लगा लिया जाता है ताकि पता रहे कि हम अकेले ही नहीं फँसे हुए!

4)  बड़े शहरों में तो अब बिल्डिंगें बन गयीं और छतों पर जाना ईद-दिवाली में ही होता है, छोटे-शहरों में एक दूसरे के घरों से जुड़ी छतों पर मजमा लग्न आम सी बात हो जाती है| अब गर्मी के मौसम में अंदर कौन बैठेगा, छत पर हवाबाज़ी के साथ गपौड़ी पडोसी हों तो बिजली किसे चाहिए?

5)  और अगर बाहर बारिश है तो भी कोई चिंता नहीं| लूडो, साँप-सीढ़ी या ऐसी कोई गेम निकाल ली और खेलना शुरू! फिर तो पूरी रात बिजली ना रहे, बस गेम चलती रहनी चाहिए!

6)  और हाँ, टोर्च को कैसे भूल जाएँ? अपनी खिड़की से दोस्त की खिड़की तक टोर्च ही पहुँचाती है! और धीरे-धीरे पूरे मोहल्ले में लाइट-डांस शुरू हो जाता है!

7)  घरवाले ज़्यादा ही स्ट्रिक्ट हुए तो भी कोई बात नहीं| घर में बैठे-बैठे छोटे भाई-बहनों को मोमबत्ती की रौशनी में परछाईयों से डराना आख़िर कब काम आएगा? या दीवारों पर उँगलियों और हाथों से ऐसे जानवर बना डालो जो किसी ने सोचे भी ना हों!

8)  सर्दी के मौसम का भी इंतज़ाम है गुरु| रज़ाई में छुप कर टोर्च की रौशनी में कॉमिक्स पढ़ने का जो मज़ा है, वो किताबों में सर खपाने का कहाँ?

9)  और कुछ नहीं तो घर वालों के साथ शाम की सैर पर निकल जाते हैं! वैसे भी टीवी की वजह से रात को ऐसे मौके आजकल कम ही मिलते हैं| ऐसा लगता है जैसे सारी गली को बिजली ने सेहतमंद बनाने की ठान ली है!

10)  सबसे बढ़िया तो होता है छत पर जा के लेट जाना और ऊपर साफ़ आसमान में चाँद-तारों को देखना! हमारे बिजली विभाग का शुक्रिया, कम से कम बिना पैसे खर्चे दूसरी दुनिया के दर्शन हो जाते हैं!

तो हैं ना फ़ायदे बिजली जाने के?

अब परेशान मत होना बल्कि मज़े उठाना जब बत्ती चली जाए| कुछ अनोखा और नया करते हो तो हमें भी बताना यार!

Nitish Bakshi

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Nitish Bakshi

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