शरद पूर्णिमा – भारतीय संस्कृति कई विभिन्न पन्नों धार्मिक रिति रिवाजों और त्यौहारों से सुस्जित हैं।
भारत में हर धर्म हर जाति के अपने अगल-अलग त्यौहार रहे हैं। भारत की इन्ही सभी पर्वों में एक पर्व है शरद पूर्णिमा… ऐसा कहा जाता है कि इसी शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन से ही शरद ऋतु की शुरूआत होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्रमा पूरे 16 कलाओं से युक्त रहता है।
इस दिन सच्चे मन से चन्द्रमा से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
क्या है शरद पूर्णिमा का शास्त्रों में महत्व
इस साल यह पर्व मंगलवार 23 अक्टूबर 2018 को मनाया जाएगा। हिन्दु धर्म में इस त्यौहार का बड़ा महत्व है। इस दिन को शास्त्रों के महत्व के तौर पर भी मनाया जाता है। बतां दे कि वैसे तो प्रत्येक माह में एक पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का यह त्यौहार साल में सिर्फ एक बार आता है। इस दिन को अमृत वर्षा के तौर पर भी मनाया जाता है, इसलिए इसे शरद पूनम की रात भी कहते है। ऐसा माना जाता है कि लोग इस दिन चन्द्रमा की सुंदरता को निहारने के लिए बेताब रहते हैं। पौराणिक मान्यताओं और पंरपराओं के मुताबिक 16 कलाओं में युक्त शरद पुर्णिमा का चांद धरती पर अमृत की वर्षा करता है, और चन्द्रमा की यह ऋतु वर्षा की जरावस्था और शरद ऋतु के बाल स्वरूप का यह सुंदर संजोग और मिलन हर दर्शानाभिलाषी के मन को मौह लेता है। इस दिन मां लश्र्मी जी की भी पूजा दोपहर 12 बजे के बाद धूप, दिया, बत्ती, कलश, सुपाड़ी व रगोंली आदि बनाकर विधिवत्त रूप में की जाती है।
क्या है शरद पूर्णिमा की रात में खीर रखने का महत्व
प्राचीन काल से ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा अपने 16 कलाओं में धरती पर अमृत वर्षा करता है। इसी मान्यता में लोग इस रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में दूध से बनी खीर रखते हैं। चन्द्रमा के इसी महत्व को इस दिन हर्षों-उल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनते है और शुद्ध एवं सात्विक भोजन का सेवन करते हैं।
शरद पूर्णिमा को लेकर जहां एक और प्राचीन पंरपराओं का अपना एक अलग ही महत्व है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं, जिसके मुताबिक शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा धरती के सबसे करीब आता है और इसी रात को चन्द्रमा से निकलने वाली किरणों में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे तौर पर धरती पर आकर गिरते हैं। लोगों द्वारा प्राचीन पंरपराओं का पालन करते हुए इस रात रखी जाने वाली खीर में यहीं चन्द्रमा से निकलने वाले लवण और कई विटामिन जैसे पोषक तत्व खीर से समाहित हो जाते हैं।
इस खीर का सेवन लोग अगले दिन सुबह-सुबह खाली पेट करते है, जिससे कि उनके अंदर ऊर्जा का संचार तेज गति से होता है और यह उनके स्वास्थय के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। वैज्ञानिक तौर पर ऐसा माना जाता है कि इस खीर को खाने से सांस संबधी बिमारियों में लाभ मिलता है और मांसिक तौर पर होने वाली कई बिमारियों से भी निजात मिलती है।
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