2) दोनो अपनी विचारधारा थोपने में लगे हैं
जाने क्यों दोनो को ही लगता है कि सिर्फ़ उनकी ही सोच सही है और जो उनके जीने का तरीका है वही दुनिया को अपना लेना चाहिए! एक तरफ आई एस आई एस धर्म को ढाल बना अपना उल्लू सीधा करने में लगा है तो वहीं अमरीका अपनी तरह की प्रणाली, अपनी तरह की सोच को सही मानते हुए दुनिया को वैसे ही जीने के लिए मजबूर कर रहा है| अमरीकी जीवन हर दोष से मुक्त हो, ऐसा नही है! उनकी दिक्कतें, उनकी परेशानियाँ खुद उनकी बनाई हुई हैं तो क्यों बाकी दुनिया उन्ही के कदमों पर चलती हुई वही परेशानियाँ झेले? जब सबको अपनी इच्छा अनुसार जीने का हक़ होना चाहिए तो क्यों आई एस आई एस या अमरीका की बात सुनी जाए?