हम सब ने अपने घरों में अपने बड़ों से अक्सर ये कहता सुना ही होगा कि, घर से किसी काम के लिए बाहर जा रहे हो तो दही खा के जाओ, काम अच्छा होगा, जाते वक़्त पीछे से कोई टोक दे तो कुछ देर रुककर घर से बाहर मत निकलों नहीं तो अपशकुन होता हैं या बिल्ली रास्ता काट दे तो कुछ देर के लिए उसी जगह रुक जाओं.
बड़ो द्वारा कही गयी इस तरह की सभी बातें शकुन और अपशकुन की श्रेणी में आती हैं.
संभव हैं कि कई बार यह बातें सिर्फ अन्धविश्वास लग सकती हैं, लेकिन हिन्दू मान्यतों के कुछ पौराणिक ग्रन्थ इस बात की पुष्टि करते हैं. जिससे यह ज्ञात होता हैं कि ये बाते केवल अंध विश्वास नहीं हैं. ‘शकुन शास्त्र’ नाम के ग्रन्थ में कुछ कथाएँ ऐसी दर्ज़ हैं जो शकुन और अपशकुन की कहानी बताती हैं.
शकुन और अपशकुन ऐसे शब्द हैं जो किसी भी घटना के घटने के पहले प्रकृति के माध्यम से उसके शुभ और अशुभ होने के संकेत देते हैं और यह बताते हैं कि आने वाला भविष्य सुखपूर्ण होगा या दुखपूर्ण.
हम में से किसी के लिए भी यह जानना तो असंभव हैं कि हमारे भविष्य में क्या होने वाले हैं लेकिन इन संकेतों से हम सतर्क ज़रूर हो सकते हैं.
शकुन शास्त्र में महाभारत के कर्ण की एक कहानी बहुत प्रसिद्ध हैं.
दानवीर कर्ण ने महाभारत के युद्ध में पांडवों के बजाये कौरवों के साथ रहने का निर्णय लिया था. कर्ण के इस निर्णय के अपशकुन होने के संकेत उस वक़्त प्रकृति ने पुरे साफ आसमान में अचानक मेघ गर्जना कर के दिए थे. इसके बाद तेज़ हवाएं चलने लगी थी,पशु-पक्षी के बर्ताव में परिवर्तन आ गया था और कर्ण के रथ में बंधा कर्ण का घोड़ा अचानक ज़मीन पर गिर गया था. इन सभी संकेतों को कर्ण ने अनदेखा किया था जिसका परिणाम हम सभी जानते हैं.
कहते हैं कि जब ऐसा कुछ अशुभ या अमंगल होने वाला रहता हैं, तब सबसे पहले इस बात का एहसास पशु-पक्षियों को हो जाता हैं. आप सब ने कभी न कभी इस बात पर गौर किया होगा कि जब कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती हैं या तेज़ बारिश होने वाले होती हैं तो पक्षी किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाते हैं, आसपास के इलाकों के कुत्ते तेज़ भौकने लगते हैं. किसी तूफ़ान के पहले भी इस तरह के बहुत से संकेत प्रकृति से हमें मिलते हैं.
ऐसी ही एक कथा रामायण काल की भी हैं. कहते हैं कि जब राजा दशरथ ने अपने बड़े पुत्र राम को राजा बनाने की घोषणा कि थी तब श्रीराम के शरीर का दाहिने हिस्सा फड़-फड़ाने लगा था. कई प्रयासों के बाद भी जब यह ठीक नहीं हुआ तब गुरु वशिष्ट ने बताया कि यह पूरी दुनिया के लिए शकुन संकेत हैं. क्योंकि आप राक्षस राज रावण और बाली का वध कर के राजा बनेंगे और उसके बाद की कहानी हम सब कई बार सुन चुके हैं.
शकुन शास्त्र तीन तरह के होते हैं जिसमे पहला हैं क्षेत्रिक शकुन, दूसरा हैं जंधिक शकुन और तीसरा हैं आगंतुक शकुन.
क्षेत्रिक शकुन-यह ऐसे शकुन होते हैं जो क्षेत्र पर निर्भर करते हैं. अर्थात वर्तमान समय पर हम जिस भी स्थान पर उपस्थित होते हैं वहां का वातावरण हमें अच्छे और बुरे के कई संकेत देते हैं.
जंधिक शकुन –जंधिक संकेत ऐसे संकेत होते हैं जो हमें पशु-पक्षियों या प्रकृति द्वारा मिलते हैं.
आगंतुक शकुन-इससे तात्पर्य वह घटनाएं जो अचानक हो जाती हैं. जिसके बारे में हमें कोई भी जानकरी नहीं होती हैं या जिसके बारे में हमने प्रतक्ष्य रूप से सोचा भी नहीं होता हैं.
खैर ये सब बातें को मान्यताएं कहेंगे तो ज्यादा सही होगा क्योकि हम सब में ऐसे कई लोग हैं जो इस तरह की बातों पर यकीन नहीं करते हैं.
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