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ये है वो बात जो होली सिखाती है !

होली के त्योहार में – राजू अपने माता पिता का इकलौता बेटा था इकलौता होने के कारण माता पिता  उसकी हर बात पूरी करते थे, करते भी क्यों न चौदह वर्षों के बाद सन्तान जो प्राप्तजो प्राप्त हुई थी।

अधिक लाड़ प्यार ने राजू को बिगाड़ दिया था वह जो बात भी मुँह से निकालता पूरी करवा कर ही दम लेता था चाहें बात गलत ही क्यों न हो, उसे इसकी परवाह नहीं थी कि उसकी वजह से दूसरों को दुख पहुंच रहा है।

माता पिता भी लाड़ में कुछ नहीं कहते कि अभी बच्चा है बड़े होकर अपने आप सुधर जाएगा।

एक बार की बात है होली के त्योहार में एक दिन बाकी था सारे मुहल्ले में चहल- पहल थी होली के गानों का शोर माहौल को रंगीन बना रहा था,घरों में स्त्रियां पकवान बनाने में मशगूल थीं बच्चे टोली बना कर खेलने में मस्त थे भोर से दोपहर के दो बजे तक रंग पुते लोग मुहल्ले में चारों ओर जमा दिखाई दे रहे थे कुछ नशेबाज शराब पीकर गंदी हरक़तें करते हुए दिखाई दे रहे थे सड़क रंग से सराबोर हो रही थी राजू भी अपने दोस्तों के साथ धमा चौकड़ी मचा रहा   था और साथ ही साथ अगले दिन के लिए कोई शैतानी रूपरेखा बना रहा था।

होली के त्योहार में – होली की सुबह राजू सबसे पहले सारे शरीर पर तेल और मुँह पर सफेदा लगाकर रंग खेलने के लिए तैयार हो गया उसने दो बाल्टी में रंग घोला औऱ एक बाल्टी के रंग में मिर्च का पाउडर मिला दिया यह बात केवल वही जनता था कि किस बाल्टी के रंग में मिर्च पाउडर है।

इतना करने के बाद वह मजे से मां के बनाए कटलेट खाकर जिन लोगों से बैर था, उनसे बदला लेने के लिए पिचकारी में रंग भरकर तैयार हो गया. वह निकलता उससे पहले ही दोस्तों की टोली वहां आ धमकी सभी राजू को अपनी-अपनी पिचकारी से रंगने लगे और उसके सबसे प्रिय मित्र बाबू ने अपनी पिचकारी खाली होने पर राजू के हाथ से पिचकारी छीन ली. उस पर रंग डालना शुरू कर दिया. जैसे ही रंग राजू की आंखों में गया राजू दर्द से छटपटाने लगा सारे बच्चे घबरा गए और पिचकारी फेंककर राजू को सांत्वना देने लगे. पहले साफ पानी लाकर मुँह पर छपाके लगवाए ताकि आंख अंदर से साफ हो जाए. इतने में संजू गुलाब जल ले आया और आंखों में गुलाब जल डालकर सोफे पर लिटा दिया।

कुछ ही देर में राजू को राहत महसूस होने लगी, दोस्तों के प्यार और एकता ने राजू की आँखें खोल दीं. वह जिन दोस्तों को अपना दुश्मन समझता था,  वह सभी आज उसकी मदद करने में सबसे आगे थे. पिंटू जिस से वह चिड़ता था उसने राजू की आंखें धुलवाईं. दूसरे विरोधी संजू ने अपने घर से गुलाब जल लाकर डाला.

इस तरह से होली के त्योहार में राजू को ये शिख मिली – उसकी आंखों से नफरत का पर्दा हट गया और सभी दोस्तों को उसने गले से लगा लिया और मन ही मन एकता और भाई चारे की सीख भी ले ली।

Deepa Sanjay

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Deepa Sanjay

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