मृत्यु शाश्वत सत्य है….
देवता हो या दानव या कोई मनुष्य कोई भी मृत्यु से बच नहीं पाया है .
ये सब जानते है राजा हो या रंक, भला हो या बुरा मरना सबको है.
लेकिन, ये सोचा है कि मरने के बाद हमारा क्या होता हैं?
धरती पर अपने जिंदा स्वरूप में हम अच्छे बुरे सब तरह के काम करते है उसका हिसाब कौन करता है? किस कर्म के अनुसार हमें क्या फल और क्या सजा मिलती है. दुनिया के लगभग हर धर्मग्रंथ में लिखा है कि शरीर नश्वर और आत्मा अजर अमर है.
यदि आत्मा अमर है मृत्यु के बाद वो आत्मा कहाँ जाती है. आज हम इस रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश करते है .
मरने के बाद से ठीक पहले की अवस्था के बारे में बात करते है. माना जाता है कि मरने की ठीक पहले मनुष्य के अंग काम करने बंद हो जाते है और उसे दिव्य दर्शन होते है. लगभग हर ग्रंथ में इस तरह के अनुभव का वर्णन है. इस समय मनुष्य को संसार के बारे में सत्य पता चलता है लेकिन इस समय उसका शरीर एंठने लगता है और वो कुछ कहने सुनने की क्षमता खो बैठता है. जब हम मान लेते है कि शरीर प्राण छोड़ चूका है, उस समय भी असल में प्राण छुटे नहीं होते. शरीर काम करना बंद कर देता है लेकिन मस्तिष्क करीब 8 मिनिट तक काम करता है. शरीर से प्राण निकलने का कार्य भी दो प्रकार से होता है. कुछ लोगों के शरीर से प्राण शरीर के ऊपरी भाग अर्थात सिर से निकलते है. कुछ लोगो के प्राण पैरों से.