भारत

आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही अपना पेट भरने के लिए आज क्या कर रहे हैं? एक दर्द भरी दास्तान!

हमारे देश के सरहद पर तैनात सैनिकों की बदौलत ही हम अपने घरों में चैन की नींद सो पाते हैं.

देश की आन-बान और शान की रक्षा करने के लिए ये सैनिक अपनी जान तक न्यौछावर करने से पीछे नहीं हटते हैं.

क्या आपने कभी सोचा है कि देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देनेवाले इन सैनिकों को बदले में सरकार और देश की जनता से क्या मिलता है.

उम्र के आखिरी पड़ाव में आकर इन आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही की ज़िंदगी आखिर कैसे गुज़रती है.

हम आपको बताने जा रहे हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही की दर्द भरी दास्तान, जो अपना पेट भरने के लिए अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में आकर न जाने क्या-क्या करने को मजबूर हैं.

पेट भरने के लिए भीख मांगते हैं पूर्व सैनिक श्रीपत जी

90 साल से भी ज्यादा की उम्र पार कर चुके झाँसी के रहने वाले श्रीपत जी एक वक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही हुआ करते थे.

आज उम्र के इस पड़ाव में आकर श्रीपत जी को दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो पाती है.

जब तक उनके हाथ-पैर उनका साथ दे रहे थे, तब तक उन्होंने मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भरा, लेकिन अब वो दर-दर भीख मांगने को मजबूर है.

बेटे ने जुए में लुटा दी सारी संपत्ति

श्रीपत जी की माली हालत पहले से ऐसी नहीं थी. उनके पास सात एकड़ ज़मीन, जायदाद और एक लाइसेंसी बंदूक भी थी.

एक रोज़ श्रीपत जी की खुशहाल ज़िंदगी को मानों किसी की नज़र लग गई. किस्मत ने ऐसी करवट बदली कि देखते-ही-देखते यह फौज़ी सड़क पर आ गया.

श्रीपत जी की इस कंगाली के लिए उनका बेटा तुलसिया ज़िम्मेदार है, जिसने अपनी जुए और शराब की लत के वजह से एक-एक करके सारी संपति को लुटा दिया और पूरे परिवार को कंगाल करके सड़क पर ला दिया.

दिल में अब भी है देश के काम आने का ज़ज्बा

श्रीपत जी अपनी पत्नी के साथ हंसारी में एक झोपड़ी में रहतें हैं.

श्रीपद जी का कहना है कि भले ही आज वो भीख मांगकर गुजारा करने को मजबूर है लेकिन वो आखिरी सांस तक अपने देश के काम आना चाहते हैं.

उनका कहना है कि नेताजी की आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही बनकर देश के लिए लड़ना उनके लिए गौरव की बात है.

जिंदा रहने के लिए भीख मांगते हैं पूर्व सैनिक ओरीलाल

श्रीपत की तरह ही बहराइच के प्रयागपुर में रहने वाले 99 साल के ओरीलाल उम्र के इस पड़ाव में ज़िंदा रहने के भीख मांगने को मजबूर हैं.

ओरीवाल साल 1942 में ब्रिटिश सेना छोड़कर आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही हो गये थे. उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में आज़ाद हिंद फौज की तरफ से रेडहिल इम्फाल में ऑपरेशन यूजीओ की कमान संभाली थी.

पेंशन से नहीं हो पाता है परिवार का गुज़ारा

स्वतंत्रता सेनानी होने के नाते ओरीलाल को पेंशन तो मिलती है, लेकिन इस पेंशन से उनके घर का गुजारा नहीं हो पाता है, जिसके चलते उन्हें रोटी के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है.

ओरीलाल की मानें तो पहले 100 रुपए पेंशन मिलती थी, अब तीन सालों से चार हजार रुपए मिलने लगी है लेकिन इतनी छोटी रकम से पूरे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता है.

गौरतलब है कि श्रीपत और ओरीलाल ही ऐसे फौजी नहीं है जो भीख मांगने के लिए मजबूर हैं ऐसे कई सैनिक है जो सरकार और समाज की बेरुखी झेलने को मजबूर हैं.

देश के लिए जो सैनिक अपनी पूरी जवानी लुटा देते हैं, बुढ़ापे में आखिर उनके साथ इस तरह की बरुखी क्यों होती है.

उनकी इस हालत के लिए क्या सिर्फ हमारे देश की सरकार ही ज़िम्मेदार है?

एक बार अपने आप से सवाल करके देखिए क्या नैतिकता के नाते इन फौजियों के प्रति हमारा कोई फर्ज़ नहीं बनता?

Anita Ram

Share
Published by
Anita Ram

Recent Posts

ढल गई जवानी जिस्म के सौदे में ! अब क्या होगा बूढ़ापे का !

वेश्याओं के रेड लाइट इलाके में हर रोज़ सजती है जिस्मफरोशी की मंडी. इस मंडी…

6 years ago

पेट्रीसिया नारायण ! 50 पैसे रोजाना से 2 लाख रुपये रोजाना का सफ़र!

संघर्ष करनेवालों की कभी हार नहीं होती है. जो अपने जीवन में संघर्षों से मुंह…

6 years ago

माता रानी के दर्शन का फल तभी मिलेगा, जब करेंगे भैरवनाथ के दर्शन !

वैष्णों देवी माता का मंदिर कटरा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.…

6 years ago

एक गरीब ब्राह्मण भोजन चुराता हुआ पकड़ा गया और फिर वो कैसे बन गए धन के देवता कुबेर देव!

धन-दौलत की चाह रखनेवाले हमेशा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. माता लक्ष्मी…

6 years ago

रमज़ान में खुले हैं जन्नत के दरवाज़े ! होगी हर दुआ कबूल !

साल के बारह महीनों में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है.…

6 years ago

चिता की राख से आरती करने पर खुश होते हैं उज्जैन के राजा ‘महाकाल’

उज्जैन के क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है उज्जैन के राजा महाकालेश्वर का…

6 years ago