पेंशन से नहीं हो पाता है परिवार का गुज़ारा
स्वतंत्रता सेनानी होने के नाते ओरीलाल को पेंशन तो मिलती है, लेकिन इस पेंशन से उनके घर का गुजारा नहीं हो पाता है, जिसके चलते उन्हें रोटी के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है.
ओरीलाल की मानें तो पहले 100 रुपए पेंशन मिलती थी, अब तीन सालों से चार हजार रुपए मिलने लगी है लेकिन इतनी छोटी रकम से पूरे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता है.
गौरतलब है कि श्रीपत और ओरीलाल ही ऐसे फौजी नहीं है जो भीख मांगने के लिए मजबूर हैं ऐसे कई सैनिक है जो सरकार और समाज की बेरुखी झेलने को मजबूर हैं.
देश के लिए जो सैनिक अपनी पूरी जवानी लुटा देते हैं, बुढ़ापे में आखिर उनके साथ इस तरह की बरुखी क्यों होती है.
उनकी इस हालत के लिए क्या सिर्फ हमारे देश की सरकार ही ज़िम्मेदार है?
एक बार अपने आप से सवाल करके देखिए क्या नैतिकता के नाते इन फौजियों के प्रति हमारा कोई फर्ज़ नहीं बनता?