हमारे देश के सरहद पर तैनात सैनिकों की बदौलत ही हम अपने घरों में चैन की नींद सो पाते हैं.
देश की आन-बान और शान की रक्षा करने के लिए ये सैनिक अपनी जान तक न्यौछावर करने से पीछे नहीं हटते हैं.
क्या आपने कभी सोचा है कि देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देनेवाले इन सैनिकों को बदले में सरकार और देश की जनता से क्या मिलता है.
उम्र के आखिरी पड़ाव में आकर इन आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही की ज़िंदगी आखिर कैसे गुज़रती है.
हम आपको बताने जा रहे हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द सेना के सिपाही की दर्द भरी दास्तान, जो अपना पेट भरने के लिए अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में आकर न जाने क्या-क्या करने को मजबूर हैं.