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ये होता है जब आप नए साल के रेसोल्युशन्स बनाते हो! छोड़ो परे! बच के रहो यार!

resolutions

5) ढीठ बन जाना

अब यार ख़ुद को गाली देना बड़ा मुश्किल है और ग़लती से अपनी ग़लती मान भी ली अपने ही आगे तो ज़्यादा देर तक ख़ुद को सज़ा दी ही नहीं जाती! साल दर साल अपने रेसोल्युशन्स को बना कर तोड़ना एक आदत सा बन जाता है और फिर हम हो जाते हैं आला दर्ज़े के ढीठ! फिर तो लगता है कि वादा करो और तोड़ लो, की फ़रक पैंदा है? बस, इसी तरह जब ख़ुद से किये वादे नहीं निभा पाते तो दूसरों के साथ क्या निभाएँगे?

dheethbanjana

तो देखा दोस्तों, कैसे ये रेसोल्युशन्स हमें एक अच्छा इंसान बनाने की बजाये एक बुरा इंसान बना देते हैं? जिस समाज में कोई वादा ही ना निभा सके उस समाज का भविष्य अच्छा नहीं हो सकता! इसलिए सभी बुराईयों की जड़ हैं ये रेसोल्युशन्स! तो आओ इस साल का नया रेज़ोल्यूशन बनाएँ कि इस साल कोई रेज़ोल्यूशन नहीं होगा!

अब इसे तो निभा लेना यार!

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